अफ्रीकी देशों तक अपनी ऐतिहासिक पहुंच और ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस (जीबीए) सफलतापूर्वक शुरू करने के बाद भारत के कदम और बढ़े हैं। एथनॉल मिश्रण और बायोगैस को जानने के लिए जल्द ही केन्या, तंजानिया और युगांडा जैसे देशों के प्रतिनिधिमंडल भारत आएंगे। ये अफ्रीकी देश भारत की पहल को अपने देशों में लागू करने के इच्छुक हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
हाल में संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन से इतर शुरू किए गए जीबीए का उद्देश्य वैश्विक परिदृश्य को नया आकार देना और दुनिया भर में जैव-ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर जैव-ईंधन के लिए मानक तय करना, जैव ईंधन के औपचारिक बाजारों का विस्तार करना तथा मांग और आपूर्ति का बेहतर आकलन करना भी शामिल है। जी20 सदस्य दक्षिण अफ्रीका के अलावा, केन्या और युगांडा जैसे
गैर-जी20 देश 19 हस्ताक्षरकर्ता देशों की सूची में शामिल हैं। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘बढ़ती आबादी के साथ तेल आयात का बढ़ते खर्च का सामना कर रहे इन दोनों अफ्रीकी देशों ने भारत में एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम की सफलता और उसके फायदों का अध्ययन करने के बाद अपने देश में परिवहन के लिए पेट्रोल में एथलॉन मिलाने में दिलचस्पी दिखाई है।’
एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि भारत की यात्रा पर आने वाले प्रतिनिधिमंडल तेल मार्केटिंग कंपनियों तथा अन्य हितधारकों के साथ मुलाकात करेंगे। इस दौरान वे सहयोग और जानकारी साझा करने के लिए सरकार स्तर पर और भारतीय एजेंसियों तथा तेल मार्केटिंग कंपनियों के साथ सहमति पत्र हस्ताक्षर भी कर सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधिमंडल के दौरे को लेकर बातचीत चल रही है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘केन्या जैसे देशों में एथनॉल का पहले से ही रसोई ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। केन्या 93 फीसदी शुद्धता वाले एथनॉल का आयात ब्राजील से करता है और इसकी मार्केटिंग गांधीनगर की सारस इनोवेशंस से संबद्ध कंपनी कोको करती है। कंपनी के केन्या में 10 लाख ग्राहक हैं।’
अफ्रीकी देश ने सरकारी प्रोत्साहन के उस मॉडल को अपने देश में लागू करने में दिलचस्पी दिखाई है जिसका उपयोग भारत सरकार की योजनाओं में आवश्यक बुनियादी ढांचे के लिए निवेश आकर्षित करने में किया गया है। इसमें प्रधानमंत्री जैव ईंधन-वितरण अनुकूल फसल अवशेष निपटान योजना शामिल है।
इसके तहत तेल मार्केटिंग कंपनियों को दूसरी पीढ़ी की एकीकृत जैव-एथनॉल परियोजना लगाने के लिए आर्थिक मदद दी जाती है। पेट्रोलियम मंत्रालय गोबर-धन योजना को भी प्रदर्शित कर सकता है जिसका उद्देश्य जैविक कचरे से ऊर्जा पैदा करने वाले ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नए संयंत्र स्थापित करना है। युगांडा ने भारत के मौजूदा संपीड़ित बायोगैस कार्यक्रम के बारे में भी सीखने की इच्छा जताई है।
अधिकारियों ने बताया, ‘जीबीए सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा और हमारे उद्योगों को प्रौद्योगिकी निर्यात एवं उपकरण निर्यात के रूप में अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा।’
सरकार को उम्मीद है कि जीबीए भारत को जलवायु और टिकाऊ भविष्य के अगुआ के रूप में स्थापित करेगा और देश को ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में आगे बढ़ाएगा। इसकी वजह यह है कि भारत निम्न और मध्यम आय वाले देशों को भी अपना जैव ईंधन कार्यक्रम शुरू करने में मदद कर रहा है।