अर्थव्यवस्था

भारत के उत्पादों पर 10.5% वैट जैसा शुल्क लग सकता है: एडीबी रिपोर्ट

India exports: भारत की लौह धातुएं (787 प्रतिशत) सर्वाधिक प्रभावित होने की उम्मीद है।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- February 26, 2024 | 11:10 PM IST

यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समयोजन तंत्र (सीबीएएम) के लागू होने की स्थिति में भारत के उत्पादों को 10.5 प्रतिशत मूल्य वर्धित कर (वैट) के समान शुल्क का सामना करने की उम्मीद है। यह जानकारी एशिया विकास बैंक (एडीबी) की सोमवार को प्रकाशित अध्ययन में दी गई।

इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘डिकार्बनाइजेशन ग्लोबल वैल्यू चेन’ के अनुसार सीबीएएम के तहत आने वाले सघन कार्बन उत्पादों से संबद्ध अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त असर पड़ेगा।

विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं और क्षेत्रों में कार्बन की सघनता को निर्धारित करने वाले कारकों में उत्पादन में ऊर्जा का प्रयोग और उत्पादन तकनीक शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘विकासशील एशिया और पूर्वी यूरोप में आमतौर पर उत्सर्जन की अधिक सघनता है।

इस क्षेत्र के उत्पादन के तरीके अलग हैं और पूरे विकासशील एशिया में ऊर्जा के लिए मुख्य तौर पर कोयले पर आश्रित है। (इसलिए) कार्बन डाइआक्साइड का अनुमानित मूल्य 100 यूरो प्रति टन है। लिहाजा विकासशील एशिया के लिए 3 से 12 प्रतिशत मूल्य वर्धित कर के बराबर होगा। हालांकि यह दर भारत, चीन, मध्य व पश्चिमी एशिया के लिए अधिक होगा।’

हालांकि यह शुल्क चीन और दक्षिण कोरिया के लिए क्रमश 11.4 प्रतिशत और 4.88 प्रतिशत होने का अनुमान है। इससे भारत की लौह धातुएं (787 प्रतिशत) सर्वाधिक प्रभावित होने की उम्मीद है। इसके बाद खनन उत्पाद (161 प्रतिशत), विद्युत (159.7 प्रतिशत), पेट्रोरसायन (29.4 प्रतिशत) और गैर लौह धातुएं (23 प्रतिशत) हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार ईयू में सीबीएएम के तहत आने वाले उत्पादों को निर्यात करने की मात्रा पर एशिया के विकासशील देश प्रभावित होंगे।

First Published : February 26, 2024 | 11:10 PM IST