केंद्र सरकार की परियोजनाओं में होने वाली देरी नवंबर में लगातार दूसरे महीने कम हुई है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वय निदेशालय (मोस्पी) की नवंबर 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक 845 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं, जो कुल परियोजनाओं की 46.1 प्रतिशत हैं। मोस्पी के दायरे में 150 करोड़ रुपये या इससे ऊपर की परियोजनाएं आती हैं। सितंबर महीने में 47.8 प्रतिशत और अक्टूबर में 46.8 प्रतिशत परियोजनाएं देरी से चल रही थीं।
पिछले साल नवंबर 2022 में 51.2 प्रतिशत परियोजनाएं देरी से चल रही थीं। वहीं 2019 में देरी से चलने वाली परियोजनाओं की संख्या 34 प्रतिशत थी।
नवंबर में औसतन परियोजनाएं 36.6 माह देरी से चल रही हैं। देरी से चल रही 845 परियोजनाओं में 38 प्रतिशत 25 से 60 महीने देरी से चल रही हैं, जबकि 24 प्रतिशत 1 से 12 महीने तक देरी से चल रही हैं। 23 प्रतिशत परियोजनाएं 13 से 24 माह देरी से चल रही हैं और 14 प्रतिशत परियोजनाएं 60 माह से ज्यादा समय से देरी से चल रही हैं।
परियोजनाओं में देरी की बाहरी वजहें हैं। उधमपुर श्रीनगर बारामुला परियोजना को 1995 में मंजूरी मिली, जो वर्षों की देरी से चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक यह फरवरी 2024 में पूरी हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक भूमि अधिग्रहण, निविदा, वन और पर्यावरण मंजूरी हासिल करना और बुनियादी ढांचे का समर्थन न होना कुछ वजहें हैं, जिससे परियोजनाओं में देरी हो रही है। बहरहाल देरी के कारण अतिरिक्त खर्च की जरूरत कम हुई है। परियोजनाओं पर अनुमान से 17.5 प्रतिशत या 4.4 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च आने की संभावना है। नवंबर 2022 में यह 21.7 प्रतिशत था।