Zee एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 11 मई के ऑर्डर के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) का दरवाजा खटखटाने के लिए तैयार है।
इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, NCLT के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी जाएगी कि ZEE को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया था, और तथ्य यह है कि NCLT के पास गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क जैसे मुद्दों पर निर्णय करने का अधिकार नहीं है। NCLT के ऑर्डर को एक या दो दिन में NCLAT के समक्ष चुनौती दी जाएगी।
बता दें कि NCLT की मुंबई पीठ ने 11 मई को अपने ऑर्डर में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और BSE को निर्देश दिया कि वे Zee-Sony यूनियन के लिए अपनी-अपनी प्रारंभिक स्वीकृतियों पर पुनर्विचार करें और अगली सुनवाई से पहले अपडेटेड अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करें। NCLT के इस ऑर्डर से मीडिया कंपनियों के प्रस्तावित विलय में नई बाधाएं पैदा हो सकती हैं।
न्यायिक सदस्य एचवी सुब्बा राव और तकनीकी सदस्य मधु सिन्हा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ अब 16 जून को मामले की सुनवाई करेगी। NCLT ने एक्सचेंजों को विलय के गैर-प्रतिस्पर्धी क्लॉज का पुनर्मूल्यांकन और वेरिफिकेशन करने का निर्देश दिया है। बता दें कि दोनों एक्सचेंजों (NSE और BSE) तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से पहले मंजूरी मिल गई थी।
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एक्सचेंजों को NCLT का निर्देश SEBI द्वारा एस्सेल समूह (Essel Group) की एक प्रमोटर पर एक प्रतिकूल अंतरिम फैसले के बाद आया है, जो कि ZEE की भी प्रमोटर है। स्टॉक एक्सचेंजों को यह भी समीक्षा करने के लिए निर्देशित किया गया है कि मॉरीशस की दो संस्थाओं के बीच गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क के लिए भुगतान SEBI की नीतियों का अनुपालन करती है या नहीं।
प्रस्तावित सौदे की शर्तों के तहत, सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त कंपनी में 50.86 फीसदी का बहुमत रखेगी, जबकि ZEE के संस्थापकों के पास 3.99 फीसदी और 45.15 फीसदी जनता सहित ZEE के अन्य शेयरधारकों के पास होगा। सोनी एस्सेल समूह के प्रमोटर्स को 1,100 करोड़ रुपये का गैर-प्रतिस्पर्धी शुल्क का भी भुगतान करेगी।