न्यूयॉर्क स्थित इन्वेस्टिगेटिव फाइनेंशियल रिसर्च फर्म वायसराय रिसर्च (Viceroy Research) इस समय चर्चा में हैं। इस अमेरिकी रिसर्च फर्म ने अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) की कंपनी वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं और कंपनी के कर्ज ढांचे (debt stack) पर शॉर्टिंग की है। शॉर्ट-सेलर का आरोप है कि भारत में लिस्टेड वेदांत लिमिटेड की पेरेंट कंपनी अपने ऋणदाताओं के लिए एक बड़ा और नजरअंदाज किया गया जोखिम है, और इसकी संरचना “एक पोंजी स्कीम जैसी” दिखाई देती है।
बुधवार को जारी की गई 87 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायसराय रिसर्च की जांच में वेदांत ग्रुप की कंपनियों के कामकाज में कई अहम मात्रात्मक और गुणात्मक गड़बड़ियां सामने आई हैं। शॉर्ट-सेलर ने जिन गड़बड़ियों का आरोप लगाया है, उनमें ‘बेट एंड स्विच’ फंडिंग मॉडल, आसमान छूती हुई संपत्ति की वैल्यूएशन, कैपेक्स में धोखाधड़ी, और गवर्नेंस फेल्योर शामिल हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वेदांता रिसोर्सेज ने इन समस्याओं का हल निकालने के लिए अपनी वर्षों पुरानी अधिग्रहण रणनीति के तहत जो कंपनियां जोड़ी थीं, उनके डिमर्जर का प्रस्ताव रखा है।
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हालांकि वेदांत ग्रुप ने इस रिपोर्ट को “आधारहीन” बताते हुए खारिज कर दिया है। कंपनी ने कहा कि यह रिपोर्ट चुनिंदा और भ्रामक जानकारियों का दुर्भावनापूर्ण मेल है। कंपनी ने यह भी आरोप लगाया कि शॉर्ट सेलर का मकसद ग्रुप की छवि को नुकसान पहुंचाना है।
स्टॉक एक्सचेंजों से मिले आंकड़ों के मुताबिक, मार्च 2025 तक वेदांत में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी विभिन्न कंपनियों के माध्यम से 56.38% है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि प्रमोटर्स द्वारा होल्ड किए गए अधिकांश शेयर उनके कर्जदाताओं के पास गिरवी रखे गए हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वेदांता रिसोर्सेज एक “फाइनेंशियल ज़ॉम्बी” है, जो अपनी सब्सिडियरी कंपनियों से कैश ट्रांसफर के जरिए जिदा बनी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, “यह शॉर्ट थीसिस हजार कटों से मरने वाली कहानी नहीं है। इसमें से किसी एक भी जोखिम से वेदांत की पहले से ही कमजोर और पोंजी जैसी संरचना गिर सकती है।”
कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, वायसराय रिसर्च एलएलसी एक इन्वेस्टिगेटिव फाइनेंशियल रिसर्च ग्रुप है, जो अमेरिका के डेलावेयर में रजिस्टर्ड है। इस कंपनी की स्थापना 2016 में फ्रेजर जॉन पेरिंग ने अपने ऑस्ट्रेलियाई साझेदारों एडन लाउ और गैब्रिएल बर्नार्डे के साथ मिलकर की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हमारा उद्देश्य तथ्य और कल्पना के बीच अंतर करना है और पब्लिक कंपनियों द्वारा रिपोर्टिंग और डिस्क्लोजर में पारदर्शिता के माध्यम से मैनेजमेंट की जवाबदेही को बढ़ावा देना है, ताकि ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स की गुणवत्ता में समग्र रूप से सुधार हो सके।”
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हाल ही में, 2023 में वायसराय रिसर्च ने टोक्यो स्थित अबैलेंस (Abalance) को अपना निशाना बनाया था, उस पर अमेरिका द्वारा लगाए गए ड्यूटी को चकमा देने का आरोप लगाया गया। इससे पहले, शॉर्ट सेलर ने ब्रिटेन की Home REIT Plc पर भी निशाना साधा था और उसकी वित्तीय स्थिति और गवर्नेंस को लेकर सवाल उठाए थे। यह कंपनी ब्रिटेन में सोशल हाउसिंग प्रदान करने का कार्य करती है।
वायसराय ने 2022 में ट्रूकॉलर (Truecaller) के खिलाफ भी शॉर्ट पोजीशन ली थी और उस पर वैध आलोचनाओं को जानबूझकर गलत दिशा में मोड़ने का आरोप लगाया था। 2018 में, इस फर्म ने टेक्नोलॉजी दिग्गज एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज (AMD) पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें CTS Labs द्वारा खोजी गई कमजोरियों के वित्तीय प्रभाव को विस्तार से बताया गया था।
वायसराय रिसर्च तब भी सुर्खियों में आई थी जब उसने एलन मस्क की कंपनी टेस्ला के खिलाफ शॉर्ट पोजिशन ली थी। उसकी वेबसाइट के मुताबिक, नैस्डैक पर लिस्टेड एथेनेक्स (Athenex) से लेकर फ्रैंकफर्ट स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड स्टीनहॉफ (Steinhoff) तक, वायसराय अब तक 29 कंपनियों पर रिपोर्ट जारी कर चुकी है।
हालिया रिपोर्ट वेदांत की पैरेंट कंपनी पर है, जो भले ही लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड हो, लेकिन इसका असर भारत में भी देखने को मिलेगा क्योंकि इसकी सब्सिडियरी भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड है।
बुधवार को रिपोर्ट सामने आने के बाद BSE पर वेदांत के शेयरों में भारी बिकवाली देखी गई और शेयर दिन के कारोबार में 8% तक टूट गए। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, अलबामा स्थित रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट Medical Properties Trust ने वायसराय रिसर्च के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे में प्रारंभिक रूप से जीत हासिल की है। इसके अलावा, दक्षिण अफ्रीका की FSCA ने वायसराय रिसर्च पर ‘Capitec’ को लेकर झूठे और भ्रामक बयान देने के आरोप में जुर्माना भी लगाया है।