facebookmetapixel
NFO Alert: ₹99 की SIP से Mirae Asset MF के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में निवेश का मौका, जानें इसकी खासियतDigital Life Certificate: ऑनलाइन जीवन प्रमाण पत्र जमा करते समय साइबर धोखाधड़ी से कैसे बचें?सरकार का बड़ा प्लान! क्या मुंबई 2029 तक जाम और भीड़ से मुक्त हो पाएगीसस्ते स्टील पर बड़ा प्रहार! भारत ने वियतनाम पर 5 साल का अतिरिक्त टैक्स लगाया45% तक मिल सकता है रिटर्न! शानदार नतीजों के बाद Vodafone Idea, Bharti Airtel में तगड़ी तेजी का सिग्नलदिग्गज Defence Stock बन सकता है पोर्टफोलियो का स्टार, ब्रोकरेज का दावा- वैल्यूएशन तगड़ा; 35% रिटर्न का मौका2025 में 7% की रफ्तार से बढ़ेगी भारत की GDP, मूडीज ने जताया अनुमान35% गिर सकता है ये सरकारी Railway Stock! ब्रोकरेज का दावा, वैल्यूएशन है महंगाक्या सोने की बढ़ती कीमतें आने वाली महंगाई का संकेत दे रही हैं? एक्सपर्ट ने दिया बड़ा संकेतPhysicsWallah या Emmvee या Tenneco! किस IPO में पैसा लगाने रहेगा फायदेमंद, जान लें

‘भारत में मध्यम श्रेणी के खुदरे बाजार पर साधेंगे हम निशाना’

Last Updated- December 05, 2022 | 11:44 PM IST

ब्रिटेन की कंपनी मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स भारत में मध्यम श्रेणी के बड़े खुदरा बाजार पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और उसकी नजर अगले कुछ वर्षों में भारत से बड़ी मात्रा में राजस्व उगाहने की है।


मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टुअर्ट रोज से कंपनी की अगामी योजनाओं और रणनीतियों पर राघवेन्द्र कामत की बातचीत :


आपने रिलायंस रिटेल के ही साथ काम करने के बारे में क्यों सोचा?


हमारे पास कई कंपनियों के नाम थे, जिनमें से हमें किसी एक कंपनी को चुनना था, लेकिन हमनें रिलायंस को ही भागीदार बनाया क्योंकि काम के प्रति उनका और हमारा नजरिया एक जैसा है। साथ ही रिलायंस अपने कारोबार में तेजी से आगे बढ़ रही है और उसे बाजार और ढांचागत चीजों की अधिक समझ है। रिलायंस एक अच्छी भागीदार है।लेकिन  प्लैनेट रिटेल के साथ तो आपका करार पहले से ही है।


हमें लगता है कि हम इतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ पाएं हैं, जितनी तेजी से हम पहले करार के साथ बढ़ना चाहते थे। हमारे दिल में वी पी शर्मा (प्लैनेट रिटेल) के लिए बहुत इज्जत है और उनके साथ हमारे दोस्ताना ताल्लुकात हैं। रिलायंस के साथ हमें उम्मीद है कि हम अपनी रफ्तार को बरकरार रख पाएंगे और पहले से ज्यादा कारोबार करेंगे।


उन 14 स्टोरों का क्या होगा, जिन्हें आपने प्लैनेट रिटेल के साथ संयुक्त उपक्रम में खोला है?


इन स्टोरों को भी आखिर  में हमारी मौजूदा भागीदारी यानी रिलायंस के साथ हमारे साझे उपक्रम में मिलना ही होगा। हमारी टीम इस पर तेजी से काम कर रही है। इन स्टोरों को उपक्रम में मिलाने की प्रक्रिया पूरा करने में अभी वक्त लगेगा।


रिलायंस के साथ भागीदार बनने से पहले क्या आपने प्लैनेट रिटेल से मंजूरी ली है?


हमने उनके साथ कई मुलाकातें कीं और जब हम वी पी शर्मा को मनाने में कामयाब हो गए, तभी हम रिलायंस रिटेल के साथ इस नई योजना के लिए आगे बढ़े हैं।


मार्क्स ऐंड स्पेंसर्स के बारे में माना जाता है कि वह प्रीमियम उच्च श्रेणी का खुदरा बाजार है। ऐसे में आप कैसे इस ब्रांड को भारत में स्थापित कर पाएंगे?


भारत में पिछले 4 से 5 वर्षों में बने रहने के बाद हमने देश में अपने लिए बाजार की पहचान कर ली है। विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से स्वीकृति मिलने के बाद हम खुद को एक बार फिर बाजार में कीमतों, गुणवत्ता, सेवाओं और अभिनव उत्पादों के मामले में मध्यम श्रेणी के रिटेलर के तौर पर स्थापित करेंगे।


हमारी कीमतें बेहद सस्ती नहीं होंगी, लेकिन हम गुणवत्ता के पहलू पर ज्यादा ध्यान देने की सोच रहे हैं। हमें लगता है कि इस मामले में हम बेहतर करेंगे। हम देश में खुद को वैसे ही स्थापित करेंगे, जैसे कि हम ब्रिटेन में हैं।


आप भारत में अपने कारोबार को बढ़ाने की योजना क्यों बना रहे हैं, जबकि आप नए बाजारों में भी प्रवेश कर सकते हैं?


हम भारत और चीन को भविष्य में अपने विस्तार की नजर से देख रहे हैं। हम ब्रिटेन में अपने कारोबार को आकार देने में व्यस्त थे और जब हमारी योजनाएं वहां हल हो गई, हमने भारत में ध्यान देना शुरू कर दिया। इसके पीछे हमारा विचार विदेशों से प्राप्त होने वाले कुल राजस्व को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करना है। हमें बहुत निराशा होगी अगर हम यहां से अपने राजस्व को करोड़ों की जगह अरबों रुपये में न बदल पाएं।


भारत में अपने कारोबार को आगे बढ़ाने की राह में कौन सी मुश्किलें आपके सामने खड़ी हैं?


भारत में खुद को स्तरीय बनाए रखने के लिए आपको काफी तेजी से बढ़ना पड़ता है। मुझे लगता है कि यहा का परिसंपत्ति बाजार और कानून काफी पेचीदा हैं। हमें उन्हें समझना ही होगा। यह भी कारण है कि हमने रिलायंस को चुना, जिसे इन बातों की समझ है।


वैश्विक मंदी और बाजारों में गिरावट के दौर से आपकी वैश्विक बिक्री पर क्या असर पड़ा है?


इसमें कोई शक नहीं है कि नकदी कम होने और मंदी के मामले में यूरोप और अमेरिका दोनों ही बुरे दौर का सामना कर रहे हैं और इससे ग्राहकों की व्यय करने की क्षमता पर भी असर पडा है।


पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं ने लंबे समय तक विकास का दौर देखा है और अब इसमें कुछ समय के लिए मंदी देखी जा रही है। हमारे हिसाब से मंदी का यह दौर कुछ समय तक ही रहेगा। इसीसलिए इसे लेकर हम बहुत ज्यादा फिक्रमंद नहीं हैं। मुश्किलें तो आती ही रहती हैं और उन्हीं के मुताबिक हम खुद में बदलाव भी लाएंगे।

First Published - April 25, 2008 | 12:07 AM IST

संबंधित पोस्ट