व्यापारिक घरानों के बीच होने वाली अदालती जंग में अब नामी उद्योगपति नुस्ली वाडिया और जीएल रहेजा समूह का नाम भी जुड़ गया है।
वाडिया ने मुंबई के मलाड में एक संपत्ति विकसित करने का करार तोड़ने का आरोप लगाते हुए रहेजा समूह और उसकी कंपनियों से 1,370 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की है। इस सिलसिले में उन्होंने बम्बई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।
वाडिया ने 13 मई को दायर याचिका में 478 एकड़ भूमि पर बनी इमारतों पाल स्प्रिंग सेंटर और यूनिक कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स को ढहाए जाने तथा क्षतिपूर्ति दिए जाने की मांग की है। वाडिया ने याचिका में जीएल रहेजा, संदीप जी रहेजा, सोनाली रहेजा और फरारी होटल्स को मुख्य पक्ष बनाया है। इस बाबत अखबारों में सार्वजनिक नोटिस भी प्रकाशित किया गया है।
वाडिया के मुताबिक रहेजा के साथ हुए उनके समझौते के मुताबिक उस जमीन पर वह या कोई वास्तविक तीसरा पक्ष ही इमारत बना सकता है। उनका कहना है कि जीएल रहेजा समूह ने अपनी ही सहायक कंपनियों को वह संपत्ति बेच दी या पट्टे पर दे दी।
जीएल रहेजा समूह की कंपनी फरारी होटल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ 2 जनवरी 1995 को किया गया समझौता तोड़ दिया है और संदीप जी रहेजा और सोनाली जी रहेजा के नाम की गई पावर ऑफ अटार्नी को भी निरस्त कर दिया है। उन्होंने अपनी याचिका में जी एल रहेजा समूह की 45 कंपनियों के नाम भी शामिल किए हैं।
फरारी होटल्स की ओर से भी उच्च न्यायालय में एक मामला दर्ज किया गया है। लेकिन इस मामले के बारे में जी एल रहेजा समूह के किसी अधिकारी से प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। दिलचस्प है कि वाडिया जीएल रहेजा के भाई सीएल रहेजा और उनके पुत्रों रवि सी रहेजा तथा नील सी रहेजा और भतीजों के खिलाफ भी बम्बई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा चुके हैं। यह मामला भी मलाड के ही नजदीक 200 एकड़ भूमि का विकास करने से संबंधित है।
उस याचिका में भी सीएल रहेजा समूह पर अपनी ही कंपनियों के लिए जमीन का इस्तेमाल करने और उसके लिए करार को तोड़ने का आरोप लगाया गया है। लंबित पड़े इस मामले में भी वाडिया ने 350 करोड़ रुपये का मुआवजा मांगा है।