कोविड महामारी के प्रसार पर रोक के लिए लगाए गए लॉकडाउन से सभी क्षेत्रों में बिक्री घटी है, लेकिन वाहन और विमानन क्षेत्र के कर भुगतान में सबसे ज्यादा कमी आई है। यहां तक कि बड़े करदाताओं जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का भुगतान वित्त वर्ष 2021 की अप्रैल-जून तिमाही में 36 फीसदी और ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) का भुगतान 74 फीसदी घटा है।
कर अधिकारियों का कहना है कि कॉरपोरेट कर ढांचे में बदलाव और अधिक रिफंड जारी करने समेत कर सुधारों से कंपनियों के कर भुगतान में कमी आई है। वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मारुति सुजूकी, बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प से प्राप्त कर 60 से 85 फीसदी कम रहा है, जबकि विमानन क्षेत्र में, विशेष रूप से विमानन कंपनियों का कर भुगतान शून्य रहा है।
आयकर विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि पहली तिमाही में मारुति सुजूकी ने 50 करोड़ रुपये का कर जमा कराया, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 318 करोड़ रुपये था। इस तरह कंपनी के कर भुगतान में 84 फीसदी कमी आई है। वहीं हीरो ने 64 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जो पिछले वित्त वर्ष की तिमाही में 228 करोड़ रुपये के भुगतान के मुकाबले 72 फीसदी कम है। बजाज ऑटो का कर भुगतान भी वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 28 फीसदी घटकर 180 करोड़ रुपये रहा। यहां तक कि आईटीसी लिमिटेड और हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) जैसी रोजमर्रा के सामान (एफएमसीजी) की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनियों ने भी पिछले साल के मुकाबले 20 से 40 फीसदी कम कर जमा कराया है, जबकि इन कंपनियों की आर्थिक गतिविधियां तिमाही के दौरान ठीकठाक रही थीं और उन्होंने अपनी बिक्री के आंकड़ों में बढ़ोतरी दर्ज की थी।
आईटीसी लिमिटेड का कर भुगतान 40 फीसदी घटकर 520 करोड़ रुपये रहा, पिछले साल की इसी तिमाही में 750 करोड़ रुपये था। वहीं एचयूएल का कर भुगतान 13 फीसदी घटकर 330 करोड़ रुपये और प्रॉक्टर ऐंड गैंबल का 40 फीसदी घटकर 22 करोड़ रुपये रहा। दूसरी तरफ ब्रिटानिया ने 70 करोड़ रुपये का भुगतान किया। इसने पिछले साल की इसी तिमाही में 73 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
गोदरेज कंज्यूमर्स, नेस्ले और डाबर जैसी मझोले आकार की एफएमसीजी कंपनियों ने भी इस तिमाही में कम कर भुगतान किया है। नेस्ले का भुगतान 31 फीसदी गिरकर 90 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी तिमाही में 130 करोड़ रुपये था। वहीं डाबर का भुगतान 24 फीसदी और गोदरेज का 22 फीसदी कम हुआ है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘दवा कंपनियों समेत केवल कुछ कंपनियों का कर भुगतान पिछले साल की इसी तिमाही के मुकाबले मामूली बढ़ा है।’ अधिकारियों का यह भी कहना है कि कॉरपोरेट कर की दरों में कमी से कंपनियों को कम कर का भुगतान करना पड़ा है, मगर विशेषज्ञ इस तर्क से सहमत नहीं हैं।
