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EV तकनीक में कर्मियों को माहिर बना रहीं वाहन कंपनियां, नौकरियों पर नहीं पड़ेगा असर

वाहन विनिर्माता और राज्य सरकारें पहले से ही मौजूदा कर्मचारियों को ईवी तकनीक में कुशल बनाने के लिए पहल कर रही हैं ताकि रोजगार पर असर न पड़े।

Last Updated- November 26, 2024 | 10:56 PM IST
Sales of electric vehicles increased by 26.5 percent this year, but the target of selling 20 lakh vehicles is still far away इस साल इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 26.5 फीसदी बढ़ी, मगर 20 लाख गाड़ियों की बिक्री का लक्ष्य अभी भी दूर

दुनिया भर में इले​क्ट्रिक वाहनों (ईवी) की कमजोर मांग के साथ ही कुछ अन्य चुनौतियों को देखते हुए वाहन कंपनियां नौकरियों में कटौती करने लगी हैं। पिछले हफ्ते अमेरिका की वाहन विनिर्माता फोर्ड ने अपने यूरोपीय कार्यबल में करीब 14 फीसदी कटौती करने की घोषणा की है।

फोर्ड ने इस निर्णय के पीछे इले​क्ट्रिक वाहनों की कमजोर मांग, ईवी के लिए सरकार से ज्यादा सहायता नहीं मिलने और स​ब्सिडी प्राप्त चीन की कंपनियों से बड़ी प्रतिस्पर्धा का हवाला दिया है। इससे पहले निसान, स्टेलेंटिस और जनरल मोटर्स ने भी ईवी की कम मांग सहित अन्य चुनौतियों के कारण अपने खर्च में कटौती की है। उनका कहना है कि ईवी ग्राहकों के लिए काफी महंगा है।

हालांकि भारत की कहानी उलट तस्वीर पेश करती है। उद्योग पर नजर रखने वालों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल इंजन (आईसीई) वाले वाहनों की जगह ईवी को अपनाने से विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों पर असर पड़ने की आशंका नहीं है। उनका कहना है कि आ​र्थिक वृद्धि के साथ भारत में आईसीई वाहनों की भी मांग बढ़ रही है।

इसके साथ ही भारत में ईवी वाहनों की बिक्री भी तेजी से बढ़ रही है। वाहन विनिर्माता और राज्य सरकारें पहले से ही मौजूदा कर्मचारियों को ईवी तकनीक में कुशल बनाने के लिए पहल कर रही हैं ताकि रोजगार पर असर न पड़े।

टाटा मोटर्स, ह्युंडै मोटर इंडिया और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा अपने कर्मचारियों की कुशलता बढ़ाने में जुट गई हैं। तमिलनाडु सरकार ने विश्व बैंक के साथ साझेदारी में इस मोर्चे पर पहल की है ताकि भविष्य में नौकरियों में कटौती जैसी ​स्थिति पैदा न हो।

टाटा मोटर्स ईवी बूम के अनुरूप अपने 20 फीसदी कर्मचारियों को पहले ही इले​क्ट्रिक वाहनों के अनुरूप प्र​शिक्षण दे चुकी है और अगले पांच वर्षों में 50 फीसदी कर्मचारियों को नए कौशल से लैस करने का लक्ष्य रखा है। उद्योग विशेषज्ञों का भी मानना ​​है कि भारत में ऐसी स्थिति की आशंका नहीं है क्योंकि अगले दस वर्षों तक आईसीई और ईवी की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

टाटा मोटर्स के एक वरिष्ठ अ​धिकारी ने कहा, ‘कंपनी ने अगले 5 साल में अपने 50 फीसदी से ज्यादा कर्मचारियों को नई पीढ़ी की वाहन तकनीक में दक्ष बनाने का लक्ष्य रखा है। हमारी रणनीति सीईएसएस तकनीक पर केंद्रित है और कंपनी के अंदर तथा ​शिक्षण संस्थानों के साथ भागीदारी के माध्यम से प्र​शिक्षण कार्यक्रम एवं प्रमाणपत्र प्रदान करके भविष्य के लिए तैयार प्रतिभाशाली लोगों की फौज बनाना है।’

टाटा मोटर्स ‘फ्यूचर ऑफ वर्कप्लेस’ रणनीति के माध्यम से मैकट्रोनिक्स, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हीकल कम्युनिकेशंस में कुशलता बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।
देश की प्रमुख वाहन विनिर्माता मारुति सुजूकी इंडिया ने 2025 की शुरुआत में अपना पहला ईवी उतारने का लक्ष्य रखा है।

मारुति सुजूकी इंडिया की 2023-24 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार कंपनी वित्त वर्ष 2024 के दौरान 14,194 कर्मचारियों को दक्षता प्रशिक्षण दे चुकी है। इससे पिछले साल मारुति ने 13,122 कर्मचारियों को प्र​शि​क्षित किया था। इसके अलावा करीब 100 आईटीआई में हाई वोल्टेज (हाइब्रिड और ईवी) प्र​शिक्षण उपकरण भी लगाए हैं।

मारुति ने ईवी तकनीक और कौशल के आदान-प्रदान के लिए गुजरात सरकार के आईएसीई, ईवी ​स्किल लैब के साथ भी गठजोड़ किया है। ईवी ​स्किल लैब आईएसीई और मारुति सुजूकी के साथ मिलकर समग्र प्र​शिक्षण कार्यक्रम तैयार करती है और उसे लागू करती है। इस प्र​शिक्षण कार्यक्रम में बैटरी प्रबंधन प्रणाली, पावर इले​क्ट्रॉनिक्स, इले​क्ट्रॉनिक ड्राइवट्रेन्स तथा चार्जिंग ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

इसके साथ ही मारुति छात्रों को इंटर्न​शिप और रोजगार के अवसर भी मुहैया कराएगी। इस बारे में जानकारी के लिए मारुति से संपर्क किया गया मगर कोई जवाब नहीं मिला। लोकप्रिय एसयूवी क्रेटा का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण लाने की तैयारी कर रही ह्युंडै मोटर ने कहा कि बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धी ​स्थिति को मजबूत बनाने के लिए कंपनी कर्मचारियों की कुशलता बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।

ह्युंडै मोटर इंडिया में पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य विनिर्माण अ​धिकारी गोपालकृष्णन शिवरामकृष्णन ने कहा, ‘हमारे कर्मचारियों ने कौशल प्रशिक्षण पहल में शामिल होकर ईवी से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कर्मचारियों को घरेलू और विशेष बाहरी संस्थानों दोनों के माध्यम से प्र​शिक्षण दिया गया है।’

इस हफ्ते अपनी इले​क्ट्रिक वाहन लाने में जुटी महिंद्रा ऐंड महिंद्रा अपने कार्यबल के लिए विशेष प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। कंपनी के अनुसार 2027 तक महिंद्रा की कुल बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी करीब 20 से 30 फीसदी होगी।

महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के मुख्य मानव संसाधन अ​धिकारी (वाहन एवं कृ​षि क्षेत्र) रोहित ठाकुर ने कहा, ‘महिंद्रा में हम इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने कार्यबल को भविष्य के लिए कुशलता से लैस करने का अवसर के रूप में देखते हैं। हमने ईवी आर्किटेक्चर, बैटरी तकनीक, वाहन इलेक्ट्रॉनिक्स और उच्च-वोल्टेज सुरक्षा में दक्ष बनाने के कार्यक्रम शुरू किए हैं।’

वाहन कलपुर्जा विनिर्माताओं का संगठन एक्मा और ग्रांट थार्नटन भारत की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2030 तक ईवी का बाजार 3.18 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है जो अभी 49,000 करोड़ रुपये का है। मलीज ​सर्विसेज में चीफ स्ट्रैटजी अ​धिकारी सुब्बुरत्नम के अनुसार ईवी को अपनाने से विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों पर कोई प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है क्योंकि आर्थिक विकास के अनुरूप पेट्रोल-डीजल इंजन वाले वाहनों की मांग भी बढ़ रही है।

First Published - November 26, 2024 | 10:56 PM IST

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