कोरोना ने अर्थव्यवस्था के सामने जो अभूतपूर्व संकट पैदा किया है, उसने ऑटो सेक्टर को भी दूसरे क्षेत्रों की तरह ही प्रभावित किया है और वे लागत से लेकर पूजी आवंटन तथा श्रमिक संबंधी योजनाओं, सभी के लिए नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। सलाहकार फर्म केयर्ने के अनुमानों के अनुसार, ऑटोमोटिव वैल्यू चेन पर पडऩे वाला मासिक प्रभाव 1.5 अरब डॉलर से 2 अरब डॉलर तक रहा है।
वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में महामारी के चलते कड़ी चुनौतियों का सामना करते हुए उच्च लागत संरचना मॉडल पर काम करने वाली ऑटो कंपनियां अब लंबी अवधि के बदलावों पर काम कर रही हैं और साल 2021 से आगे की रणनीतियों की तैयारियों में लगी हैं।
कार बाजार की प्रमुख कंपनी मारुति सुजुकी के चेयरमैन आर सी भार्गव कहते हैं, ‘कोविड-19 ने हमें लागत कम करने के विभिन्न तरीके दिखाए हैं। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, यह सभी के लिए उपयोगी होंगे।’ उन्होंने कहा कि लागत कम करने और गुणवत्ता बनाए रखने में सक्षम होना प्रतिस्पर्धी बनने के लिए काफी जरूरी है।
अप्रैल महीने में शून्य बिक्री और इसके बाद के दो महीनों में बहुत मामूली सी बिक्री होने के बाद मारुति ने जुलाई में अपने डीलरों को एक लाख से अधिक वाहन भेजे और यह आंकड़ा कोरोना से पहले के स्तर के काफी करीब है। हालांकि भार्गव ने कहा कि पिछले स्तरों पर वापस आना कोई बड़ी बात नहीं है। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2019 पिछले कुछ वर्षों में सबसे बेहतर रहा। इसे आधार बनाते हुए हमें आगे दो अंकों के साथ कदम बढ़ाने होंगे।’
लक्ष्यों को पूरा करने और हालिया संकट से निपटने के लिए, मारुति ने कई लागत क्षेत्रों की पहचान की है जिससे कंपनी अधिक प्रतिस्पर्धी बनी रह सके। भार्गव कहते हैं, ‘यह आवाजाही, मनोरंजन, विज्ञापन आदि में कमी लाकर किया जा सकता है। महामारी ने दिखाया कि इस तरह की लागतों के बिना भी कारोबार चलाए जा सकते हैं।’ दूसरी कंपनियां भी इसी तरह के कदम उठा रही हैं। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के उपाध्यक्ष शेखर विश्वनाथन कहते हैं, ‘मौजूदा स्थिति से निपटने का एकमात्र तरीका ब्रेक-इवन पॉइंट को कम करना और स्थिर लागत को कम करना है।’ जापानी कार निर्माता को वर्तमान में नुकसान उठाना पड़ रहा है। 12 वर्षों तक लाभ में रहने के बाद पहली बार वित्त वर्ष 2021 के अंत में नुकसान की घोषणा के साथ कंपनी ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के लिए अवैतनिक छुट्टी पर भेजा है।
महामारी ने अधिकांश कंपनियों को अहसास कराया है कि कारोबार के लिए यात्राएं निरर्थक हैं जबकि कंपनियों की कुल लागत में इसकी बड़ी हिस्सेदारी रहती है। क्यों किसी स्थान पर आने-जाने में इतने संसाधन एवं समय बर्बाद किए जाएं, जबकि वही काम आभासी तरीकों से किया जा सकता है। ज्यादातर कंपनियां अब इसी विचार के साथ आगे बढ़ रही हैं, क्योंकि वे सभी किसी भी तरह लागत कम करने के लिए प्रयासरत हैं।
महामारी ने घर से काम करने के तरीकों को भी एक ‘नया सामान्य’ बना दिया है। किर्नी में प्रिंसिपल-ऑटोमेटिव, राहुल मिश्रा कहते हैं कि यह कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया नीति में भी बदलाव लाएगा। मिश्रा कहते हैं, ‘कंपनियों को अहसास हो गया है कि कारोबार को कार्यालयों के बिना दूर-दराज के स्थानों से तकनीक के माध्यम से अधिक प्रभावी तरीके से संचालित किया जा सकता है, जिसके कारण भर्ती प्रक्रिया में भी उचित जरूरी बदलाव किए जाएंगे।’ वह कहते हैं कि पिछले चार महीनों में कई भूमिकाएं निरर्थक या अप्रासंगिक हो चुकी हैं।
भार्गव कहते हैं कि सभी हितधारकों, जैसे कच्चा माल आपूर्तिकर्ता, विक्रेता, डीलर या फाइनेंसर आदि के लिए एक समान लागत एवं अनुशासन को सुनिश्चत करने के लिए समूचे उद्योग को एक तरह की ही मानक प्रक्रियाओं को अपनाना चाहिए।
ऑटो कलपुर्जे निर्माता भी सभी क्षेत्रों में आ रहे नए बदलावों को अपना रहे हैं। ल्यूमैक्स इंडस्ट्रीज के ग्रुप सीईओ विनीत साहनी ने कहा, ‘लागत पूंजी की वापसी पर हमारा अधिक जोर रहेगा। पुराने दिनों में किसी ने भी फ्री कैश फ्लो पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। अब इसमें आवश्यक बदलाव आएंगे।’ कंपनी ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक अपनी निर्धारित लागत में 15-17 फीसदी कमी करने का लक्ष्य रखा है। मिश्रा कहते हैं, ‘कुल मिलाकर संगठनात्मक फिटनेस, आपूर्ति शृंखला में तेजी और स्वचालन के साथ जवाबदेहिता पर ध्यान देना जारी रहेगा।’