भारत की बड़ी सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन को देखते हुए निवेशक उनसे दूर छिटक रहे हैं। इन कंपनियों की आय में सुस्ती और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के खतरे को देखते हुए आईटी क्षेत्र पर निवेशकों का भरोसा डगमगा रहा है। सूचकांक में शामिल देश की शीर्ष आईटी कंपनियों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण कैलेंडर वर्ष 2025 की शुरुआत से 24 फीसदी तक घट गया है। इतना ही नहीं, उनका मूल्यांकन भी पिछले पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है। पिछले चार वर्षों में पहली बार आईटी क्षेत्र बीएसई सेंसेक्स के पिछले पीई मल्टीपल से नीचे कारोबार कर रहा है। शीर्ष पांच कंपनियों का पीई मल्टीपल दिसंबर 2024 के 25.5 गुना से कम होकर 22.3 गुना रह गया। दिसंबर 2021 में इनका पीई मल्टीपल 36 गुना के उच्चतम स्तर था।
इसकी तुलना में बीएसई सेंसेक्स कैलेंडर वर्ष 2024 के अंत से 2.2 फीसदी बढ़ा है। सेंसेक्स शुक्रवार को 79,858 पर बंद हुआ, जो दिसंबर 2024 के अंत में 78,139 के स्तर पर था। आईटी कंपनियों से उलट सेंसेक्स का मूल्यांकन पिछले तीन वर्षों में एक सीमित दायरे में रहा है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस), इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा का कुल बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को कम होकर 24.86 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो दिसंबर के अंत में 32.67 लाख करोड़ रुपये था।
सबसे अधिक नुकसान टीसीएस को उठाना पड़ा है। 2025 में अब तक कंपनी का बाजार पूंजीकरण 26फीसदी तक फिसल चुका है। इन्फोसिस का बाजार पूंजीकरण इस साल अभी तक 24.3 फीसदी और एचसीएल टेक का 23.1 फीसदी कम हो चुका है। टेक महिंद्रा का प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से बेहतर रहा है। इस साल कंपनी का बाजार पूंजीकरण अब तक केवल 13.2 फीसदी कम हुआ है। विप्रो का बाजार पूंजीकरण 20.7 फीसदी तक कम हो गया है।
विश्लेषकों के अनुसार आईटी कंपनियों के शेयर मूल्य और बाजार पूंजीकरण में कमी के लिए आय में सुस्ती और निवेशकों के दूसरे क्षेत्र की तरफ रुख करना जिम्मेदार रहे हैं।
सिस्टेमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह-प्रमुख (अनुसंधान एवं इक्विटी रणनीति), धनंजय सिन्हा कहते हैं,‘अप्रैल-जून 2025 तिमाही में आईटी कंपनियों के राजस्व और आय की वृद्धि उम्मीद से कम रही। इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री और शुद्ध मुनाफे में वृद्धि एक अंक में रही। टीसीएस द्वारा नई चुनौतियों के जिक्र और कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा के बाद इस क्षेत्र को लेकर निवेशकों की धारणा और कमजोर हो गई है।’
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के निवेश निकालने से भी आईटी कंपनियों के शेयर फिसले हैं। सिन्हा कहते हैं, ‘हाल के हफ्तों में एफपीआई बड़े बिकवाल रहे हैं। उनकी टीसीएस, इन्फोसिस और एचसीएल टेक जैसी शीर्ष आईटी कंपनियों में बड़ी हिस्सेदारी थी।‘
कुछ लोगों का मानना है कि डॉनल्ड ट्रंप ने जब से नए शुल्कों की घोषणा की हैं तब से वैश्विक विकास में अनिश्चितता के कारण मांग कमजोर हो गई है। कमजोर मांग के कारण पूरे आईटी क्षेत्र में निराशाजनक परिणाम आए हैं। इसका असर मार्जिन पर दबाव, कारोबार विस्तार के लिए बहीखाते पर बढ़ती निर्भरता और
लागत कम करने वाले सौदों पर अधिक जोर जैसे कई मोर्चे पर दिख रहा है।