विश्लेषक सिप्ला (cipla) के संबंध में सतर्क हो गए हैं क्योंकि अमेरिका के खाद्य और औषधि प्रशासन (FDA) ने हाल ही में मध्य प्रदेश में इसके पीथमपुर संयंत्र के लिए आठ टिप्पणियों के साथ फॉर्म 483 जारी किया है, जिससे अमेरिका में कंपनी की प्रमुख जेनेरिक एडवेयर की शुरुआत में देर होने की आशंका है।
विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार सिप्ला के राजस्व में इस संयंत्र की हिस्सेदारी करीब पांच प्रतिशत है।
विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि अस्थमा के उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाले श्वसन संबंधी उत्पाद ने इस संयंत्र में विनियामक की स्वीकृति पूर्व निरीक्षण की मंजूरी हासिल कर ली थी, लेकिन जब तक कंपनी निरीक्षण पर खरी नहीं उतरती, तब तक अंतिम मंजूरी की संभावना नहीं है।
एडवेयर की शुरुआत में देरी के मद्देनजर प्रभुदास लीलधर और मोतीलाल ओसवाल ने वित्त वर्ष 24 के प्रति शेयर कमाई (ईपीएस) के अपने अनुमान में क्रमश: आठ और तीन प्रतिशत तक की कमी की है।
कंपनी ने वित्त वर्ष 23 की दूसरी छमाही में यह उत्पाद पेश करने का लक्ष्य बनाया था। प्रभुदास लीलाधर को अब वित्त वर्ष 25 तक यह उत्पाद पेश होने की उम्मीद है।
इसने कहा कि सिप्ला ने पहले अमेरिका की बिक्री में वित्त वर्ष 25 तक 90 करोड़ डॉलर से 1.2 अरब डॉलर तक का अनुमान लगाया था। संयंत्र के मौजूदा मसलों को देखते हुए इसे एक साल पीछे धकेल दिया गया है। कुल मिलाकर अब हम वित्त वर्ष 24 और वित्त वर्ष 25 में 72 करोड़ डॉलर और 76 करोड़ डॉलर की अमेरिकी बिक्री का अनुमान लगा रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि यूएसएफडीए की कुछ हालिया टिप्पणियां गंभीर हैं और संभावित ऑफिशियल एक्शन इंडिकेटेड (ओएआई) वर्गीकरण की वजह से नियामक की ओर से कड़ी कार्रवाई की आशंका है। ओएआई वर्गीकरण किसी संयंत्र के उत्पाद की मंजूरी को प्रभावित करता है।