दवा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र की भारतीय कंपनियों का कहना है कि चिकित्सा उपकरणों में मार्केटिंग प्रैक्टिसेज के लिए समान संहिता 2024 (यूसीपीएमपीडी) का सख्ती से अनुपालन कंपनियों को अनैतिक व्यापार और विपणन के तौर-तरीकों को रोकने का काम करेगा। लेकिन इससे अनुपालन की लागत में इजाफा होगा। हालांकि मार्केटिंग खर्च से संबंधित डिस्क्लोजर जमा करने की समयसीमा को 30 सितंबर तक और बढ़ा दिया गया है।
कंपनियों को वित्त वर्ष की समाप्ति के दो महीने के भीतर मार्केटिंग से जुड़े खर्च की अनिवार्य तौर पर वार्षिक घोषणाएं करनी होती हैं। लेकिन इस वर्ष यह समयसीमा दो बार बढ़ाई जा चुकी है और अब इसे 30 सितंबर तक बढ़ाया गया है। पहले ये घोषणाएं 30 जून तक जमा किए जाने की उम्मीद थी जिन्हें दो बार बढ़ाकर पहले 31 जुलाई और फिर 31 अगस्त कर दिया गया।
इस शपथपत्र पर कंपनी के कार्यकारी प्रमुख के हस्ताक्षर होने चाहिए, जो मार्केटिंग की कार्यप्रणाली की संहिता के अनुपालन का आश्वासन देता हो। इस पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति कंपनी का प्रबंध निदेशक या मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) हो सकता है।
इस संहिता में मूल्यांकन वाले मुफ्त नमूनों की सीमा को घरेलू बिक्री के 2 प्रतिशत तक तय किया गया है और अगर नमूने आंतरिक स्तर पर बनाए गए हैं तो उनका मूल्यांकन स्टॉकिस्ट मूल्य पर किया जाएगा और अगर बाहर से लिए गए हैं तो यह क्रय मूल्य पर दर्ज किया जाएगा। कंपनियों को नमूनों, सीएमई कार्यक्रमों, कार्यक्रमों के प्रायोजनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों की अंतरराष्ट्रीय यात्राओं, आवास और आतिथ्य-सत्कार के लिए आवश्यक पूर्व मंजूरियों पर खर्च का भी खुलासा नए निर्धारित अनुलग्नक प्रारूप में करना होगा।
हितों के टकराव को खत्म करने के उद्देश्य से इस संशोधित ढांचे में स्वास्थ्य सेवा के पेशेवरों और उनके परिवारों को उपहार, नकद अनुदान और व्यक्तिगत यात्रा या आतिथ्य-सत्कार के लाभों पर प्रतिबंध लगाया गया है। उद्योग संघों को डिस्क्लोजर का डेटा पांच वर्षों तक संभालकर रखना होगा। इसके उल्लंघन करने पर कड़े दंड का भी प्रावधान है। हालांकि विश्लेषकों ने बताया कि इससे कंपनियों की अनुपालन लागत बढ़ जाएगी।