टेलीफोन केबल से टीवी (आईपी टीवी) दिखाने का सपना देख रहे महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल)की योजना पर सरकार ने लाइसेंस उल्लंघन के नाम पर कड़ी आपत्ति जताई है।
दिल्ली और मुंबई में टेलीफोन सेवा दे रहे एमटीएनएल को लिखे एक पत्र में टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने उससे जवाब मांग है कि बेसिक सर्विस ऑपरेटर लाइसेंस (बीएसओ) के तहत आखिर किस तरह वह अतिरिक्त सेवा मुहैया कराने जा रही है। नियमों के मुताबिक, कोई भी बीएसओ धारक कंपनी आईपीटीवी जैसी अतिरिक्त सेवाएं नहीं मुहैया करा सकती है।
पत्र में ट्राई ने उस सूचना का भी उल्लेख किया है, जिसमें एमटीएनएल ने न सिर्फ आईपी टीवी सेवा की दरें प्रकाशित की हैं बल्कि यह भी जिक्र किया है कि बीएसओ लाइसेंस के तहत ही वह आईपी टीवी सेवा मुहैया करा रही है। ट्राई की नीतियों के अनुसार आईपी टीवी जैसी अतिरिक्त सेवाओं के लिए बेसिक सेवा देने वाले ऑपरेटर को यूएएसएल (मंजूरी के लिए तय लाइसेंस) लेना होता है। इसके अलावा 100 करोड़ से ज्यादा की शुध्द आय वाले इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी को भी इन सेवाओं को मुहैया कराने की अनुमति है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा रुकावट के चलते अब एमटीएनएल को यूएएसएल लेना जरूरी हो गया है। दिल्ली और मुंबई में इस लाइसेंस को लेने के लिए उसे लगभग 401 करोड़ रुपए की भारी-भरकम रकम खर्चनी पड़ेगी। यही नहीं, ट्राई की इस आपत्ति से एमटीएनएल पर नियम उल्लंघन के तहत जुर्माना राशि का भी बोझ पड़ने के आसार हैं।
हालांकि एमटीएनएल भी ट्राई के पत्र का जवाब देने में कोई हिचकिचाहट नहीं महसूस कर रही है। कंपनी के चेयरमैन आर.एस.पी. सिन्हा कहते हैं- हम दो सालों से यह सेवा दे रहे हैं। हमारे लिए तो आईपी टीवी का मतलब यही है कि बेसिक ऑपरेटर के जरिए इसे दिखाया जा रहा है। अब इसे बंद कैसे किया जा सकता है। हम उनके किसी भी सवाल का जवाब देंगे।
एमटीएनएल ने ही चंद महीनों पहले देश में पहली आईपी टीवी सेवा की शुरुआत की थी। जल्द ही उसे रिलायंस कम्युनिकेशन और भारती जैसे प्रतिस्पर्ध्दियों से भी दो-दो हाथ करने पड़ेंगे। एमटीएनएल का इरादा इस बाजार में 50 हजार उपभोक्ताओं को अपने कब्जे में करने का है। फिलहाल इसके पास महज 6000 उपभोक्ता ही हैं।