बाजार में सूचीबद्ध सिरैमिक टाइल निर्माताओं का प्रदर्शन वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही में अच्छा नहीं रहा, जिसका कारण कमजोर मांग, ज्यादा आपूर्ति और लागत पर दबाव था। कुछ दबाव हालांकि अल्पावधि में सुस्त पड़ सकता है, लेकिन बाजार इस क्षेत्र के परिदृश्य को लेकर बंटा हुआ है।
कुछ ब्रोकरेज फर्में स्वीकार करती हैं कि मांग की स्थिति कमजोर हुई है जबकि अन्य पिछले तीन महीने में थोड़े सुधार का संकेत देते हैं और गैस की कम कीमत से राहत की बात करते हैं।
बिक्री के सुस्त रुख को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस क्षेत्र में मांग से ही सुधार का रास्ता निकलेगा। इस क्षेत्र में वॉल्यूम के लिहाज से सबसे बड़ी कंपनी Kajaria Ceramics की वृद्धि की रफ्तार देर तक मॉनसून के टिके रहने और त्योहारी सीजन के कारण 1 फीसदी घटी जबकि Somany Ceramics की बढ़त दर 3.7 फीसदी रही,जो अनुमान से कम थी। इसकी वजह कमजोर मांग और गुजरात की मोरबी इकाई से ज्यादा आपूर्ति रही।
उधर, सेरा सैनिटरीवेयर (Cera Sanitaryware) का प्रदर्शन इस क्षेत्र की अन्य कंपनियों के मुकाबले बेहतर रहा क्योंकि कंपनी ने अब तक का सबसे ज्यादा राजस्व अर्जित किया, जिसकी वजह बिजनेस टु कंज्यूमर सेगमेंट पर ध्यान, प्रॉडक्ट डेवलपमेंट और दक्षता में सुधार थी।
पिछले कुछ सालों से सैनिटरीवेयर क्षेत्र में यह कंपनी अन्य छोटी कंपनियों से बाजार हिस्सेदारी लगातार हासिल कर रही है, वहीं फॉसेटवेयर में इसकी वृद्धि की रफ्तार इस क्षेत्र का 1.5 गुना रही। आईडीबीआई कैपिटल ने कहा, चीन पर कम निर्भरता और नए उत्पादों के ज्यादा योगदान के कारण अन्य कंपनियों के मुकाबले उत्पादों की बेहतर उपलब्धता का उसे फायदा मिला। नए उत्पादों के योगदान के मामले में उद्योग का औसत 10 फीसदी रहा जबकि इस कंपनी का 39 फीसदी।
इसके अलावा सेरा की तरफ से हाल में पेश खुदरा लॉयल्टी प्रोग्राम भी उसे रिटेलरों के साथ जुड़े रहने में मदद कर रहा है, यह कहना है सेंट्रम रिसर्च के विश्लेषकों अखिल पारेख और केविन शाह का।
नुवामा रिसर्च ने कहा, इस क्षेत्र में मांग काफी बुरी स्थिति में पहुंच गई है। वैश्विक स्तर पर कमजोर मांग है, लिहाजा जो इकाइयां पहले निर्यात करती थीं, अब उनका ध्यान देसी बाजार पर चला गया है। अतिरिक्त क्षमता का इस्तेमाल करीब-करीब भरे पूरे देसी बाजारों में हो रहा है। देसी बाजार में असंगठित कंपनियों की तरफ से कम कीमत पर माल उपलब्ध कराने और 60 से 90 दिनों के लिए क्रेडिट उपलब्धता का भी असर पड़ा है। यह कहना है स्नेहा तलरेजा की अगुआई वाले ब्रोकरेज के विश्लेषकों का।
इसके परिणामस्वरूप संगठित कंपनियां भी बिक्री बढ़ाने के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं, छूट आदि की पेशकश कर रही हैं।
अन्य विश्लेषकों का हालाकि मानना है कि मांग स्थिर बनी हुई है। जेएम फाइनैंशियल ने डीलरों के जायजा लेने के बाद इसी का हवाला देते हुए कहा है कि इस साल फरवरी व मार्च में मांग वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही के मुकाबले बेहतर रही, जिसकी अगुआई निर्माण गतिविधियों और होम इम्प्रूवमेंट सेगमेंट ने की। टियर-2 और इससे नीचे वाले शहरों में मेट्रो व टियर-1 के मुकाबले मांग बेहतर रही, हालांकि टाइल उद्योग में प्रतिस्पर्धा गहरा गई है, जिसकी वजह क्षेत्रीय कंपनियों का बढ़ता वितरण और ब्रांडिंग व पेशकश पर ज्यादा खर्च है।
विश्लेषकों ने हालांकि कहा कि भारत से टाइल का निर्यात वैश्विक मांग में सुस्ती की पृष्ठभूमि में मजबूत बना हुआ है क्योंकि भारतीय निर्यात ज्यादा लागत प्रतिस्पर्धी हो गए हैं और यूरोपीय निर्यातक बढ़ती लागत और गैस की उपलब्धता से जुड़े मसले का सामना कर रहे हैं।
ईंधन व बिजली की बढ़ी लागत से कजारिया के सकल मार्जिन में 320 आधार अंकों की गिरावट आई है, वहीं उसका परिचालन मुनाफा मार्जिन 500 आधार अंक टूटा है। सोमानी ने परिचालन स्तर पर मार्जिन में 450 आधार अंकों की गिरावट का सामना किया है क्योंकि उसके राजस्व की रफ्तार कमजोर रही और विज्ञापन पर ज्यादा खर्च हुआ।
सेरा ने हालांकि अपना मार्जिन क्रमिक आधार और पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले बरकरार रखा है।
गैस की कम कीमतें हालांकि लागत पर दबाव घटा सकता है और मार्जिन पर यह अच्छा असर डालेगा। जेएम फाइनैंशियल ने कहा, जनवरी-मार्च तिमाही (वित्त वर्ष 23) में ब्रेंट क्रूड की कीमतें क्रमिक आधार पर 8 फीसदी घटी है और सालाना आधार पर यह 18 फीसदी कम है, जिससे कतर के रासगैस की कीमतें क्रमिक आधार पर चौथी तिमाही में 8 फीसदी कम हुई हैं। गैस की हाजिर कीमतें भी क्रमिक आधार पर 43 फीसदी घटी हैं।
गुजरात गैस की कीमतें क्रमिक आधार पर 23 फीसदी घटी है क्योंकि कंपनी ने मोरबी की इकाइयों से कम मांग के कारण कीमतें घटाई है और कई कंपनियों ने वैकल्पिक ईंधन मसलन एलपीजी व प्रॉपेन का रुख कर लिया है। ब्रोकरेज ने ये बातें कही। ज्यादातर कंपनियां गैस की कम कीमत का लाभ ग्राहकों को दे सकती हैं क्योंकि घटती मांग व उच्च प्रतिस्पर्धी दबाव में इससे वॉल्यूम बढ़ेगा।
प्रमुख कंपनियों के शेयरों की कीमतों की बात करें तो सेरा के शेयर मे पिछले तीन महीने में 24 फीसदी की उछाल आई है जबकि कजारिया व सोमानी के शेयरों में क्रमश: 10.5 फीसदी व 4 फीसदी की नरमी देखने को मिली है। मांग के मोर्चे पर अनिश्चितता को देखते हुए निवेशकों को इन शेयरों में निवेश से पहले स्थिर मांग व मार्जिन के रुख का इंतजार करना चाहिए।