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तीन सितारे, जिन्होंने साकार कर दिया टाटा का सपना

Last Updated- December 05, 2022 | 5:10 PM IST

रतन टाटा की आंखों में बसा जगुआर-लैंड रोवर का सपना अगर साकार हुआ है, तो उसकी नींव टाटा मोटर्स के 3 सितारों ने रखी।


तमाम ग्रहणों को टालकर उन्होंने इस समझौते पर दस्तखत करवा ही दिए।इस जबर्दस्त टीम को चुना भी खुद रतन टाटा ने। समूह के सूत्रों के मुताबिक तीनों ने एकजुट होकर इस तरह काम किया कि कोई भी रुकावट सामने टिक नहीं पाई। तीनों अपने-अपने मैदान के महारथी हैं और टाटा के मजबूत स्तंभ भी।


उनकी टीम ने न जाने कितनी रातें जागते काटीं, न मालूम आसमान में कितनी उड़ानें भरीं और दिन-रात एक करके जगुआर-लैंड रोवर को भारत लाने का मिशन पूरा कर ही लिया।आइए, भारत से बर्मिंघम का सफर कर इस चर्चित सौदे को अमली जामा पहनाने वाली इन शख्सियतों से आपका भी परिचय कराते हैं –


रवि कांत, प्रबंध निदेशक, टाटा मोटर्स


टीम के सबसे अहम सदस्य रवि कांत वाहन क्षेत्र में टाटा की सभी रणनीतियों के सूत्रधार हैं। एलएमएल लिमिटेड का कायाकल्प करने वाले रवि कांत ने देवू के साथ 2004 में हुए समझौते में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। देवू समझौते में तो उन्होंने इस बात का खास ख्याल रखा कि ब्रांड के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो, कंपनी पुराने प्रबंधन के ही हाथ में रहे और सब कुछ टाटा के हाथ में आ जाए।


सी रामाकृष्णन, मुख्य परिचालन अधिकारी, टाटा मोटर्स


सबसे खामोश, मगर चुपचाप अपने मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में रामाकृष्णन का कोई जवाब नहीं है। टाटा मोटर्स के साथ वह 1980 में जुड़े। समूह के सूत्रों के मुताबिक रतन टाटा की टीम के वह हमेशा अहम सदस्य रहे हैं। समूह की विभिन्न कंपनियों के साथ काम करने का जबर्दस्त तजुर्बा रामाकृष्णन की सबसे बड़ी खासियत है। हाल ही में उन्हें टाटा कैपिटल की बागडोर सौंपी गई है।


अरुणकुमार रमनलाल गांधी, कार्यकारी निदेशक, टाटा संस


गांधी टाटा के साथ तो बहुत समय से जुड़े हैं, लेकिनन टाटा संस के कार्यकारी निदेशक का जिम्मा उन्हें अगस्त 2003 में सौंपा गया।?उन्हें अधिग्रहण का उस्ताद भी कहा जाता है। यह गलत भी नहीं क्योंकि कोरस सौदे में उनकी भूमिका से कोई?इनकार नहीं कर सकता। उस सौदे के बाद ही गांधी सुर्खियों में आ गए।?पिछले साल जनरल केमिकल्स इंडस्ट्रियल प्रॉडक्ट्स को खरीदने में भी टाटा के रथ के सारथी गांधी ही थे।?


इसके बाद जगुआर-लैंड रोवर सौदे में भी उनका शामिल होना तो लाजिमी ही था।बारीकियों पर नजर रखने की गांधी की फितरत ने उन्हें औरों से अलग रखा। उनको जानने वालों के मुताबिक लचीलापन ही गांधी की सबसे बड़ी खासियत है।?काम को किसी भी तरह पूरा करने का उन्हें जुनून है और जगुआर-लैंड रोवर ने फिर यह बात साबित कर दी।

First Published - March 27, 2008 | 2:19 AM IST

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