पिछले कुछ वर्षों में सुस्ती से गुजर रहे भारतीय तिपहिया निर्यात में वित्त वर्ष 2025 में भी सुधार के संकेत नहीं दिख रहे हैं। श्रीलंका, बांग्लादेश, नाईजीरिया, मिस्र जैसे कई प्रमुख बाजारों में भूराजनीतिक और आर्थिक कारकों ने इन क्षेत्रों में सुस्त मांग को बढ़ावा दिया है।
वित्त वर्ष 2025 के पहले दो महीनों में भी गिरावट देखी गई। जहां अप्रैल में निर्यात एक साल पहले के मुकाबले 2.7 प्रतिशत घटा, वही मई में इसमें 11.3 प्रतिशत तक की कमी आई। वित्त वर्ष 2025 में, पियाजियो और टीवीएस मोटर जैसी कंपनियों ने निर्यात में 16 प्रतिशत और 19.9 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की।
यही वजह है कि कुल तिपहिया निर्यात घटा है। सायम (SIAM) के आंकड़े के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में निर्यात 26 प्रतिशत और उसके बाद वित्त वर्ष 2024 में 17 प्रतिशत तक घटा।
निर्यात में गिरावट मुख्य तौर पर श्रीलंका, बांग्लादेश, नाईजीरिया और मिस्र जैसे प्रमुख बाजारों में भूराजनीतिक एवं आर्थिक अस्थिरता की वजह से आई है।
प्राइमस पार्टनर्स में प्रबंध निदेशक अनुराग सिंह का मानना है कि इन देशों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है जिससे तिपहिया के लिए उनकी मांग पर प्रभाव पड़ा है।
सिंह का मानना है, ‘श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को दबाव से जूझना पड़ रहा है, वहीं नाईजीरिया को ऊंची मुद्रास्फीति और राजनीतिक जोखिम तथा बांग्लादेश को बढ़ती राजनीतिक अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। इन कारकों ने तिपहिया निर्यात के लिए चुनौतीपूर्ण परिवेश को बढ़ावा दिया है।’
आशिका ग्रुप में विश्लेषक संकेत केलास्कर ने कहा कि ऊंची मुद्रास्फीति, मौद्रिक अवमूल्यन, प्रमुख अमेरिकी बाजारों में आयात प्रतिबंध और कुछ क्षेत्रों में क्वाड्रिसाइकिल की ओर बढ़ते रुझान भारत से निर्यात में गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं। उदाहरण के लिए, मिस्र और सोमालिया जैसे देशों ने भीड़भाड़ और सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण तिपहिया आयात प्रतिबंधित किया है।
इन चिंताओं के अलावा, कुछ अफ्रीकी देश आवश्यक वस्तुओं के आयात को प्राथमिकता दे रहे हैं और वाहन आयात प्रतिबंधित कर रहे हैं। मिस्र और सोमालिया ने सुरक्षा चिंताओं और भीड़-भाड़ से बचने के लिए तिपहिया आयात पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया।