बीएस बातचीत
मोएलिस ऐंड कंपनी इंडिया की मुख्य कार्याधिकारी मनीषा गिरोत्रा ने समी मोडक के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि सौदे करने की रफ्तार मजबूत है, लेकिन हमें यह ध्यान देने की जरूरत होगी कि महामारी की दूसरी लहर से किस तरह का उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। गिरोत्रा ने कहा कि टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और बीमा क्षेत्रों का कोष उगाही में दबदबा बना रहेगा। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
पूंजी बाजार गतिविधि इस साल मजबूत है। क्या यह गति बरकरार रहने की संभावना है?
भारतीय बाजार पिछले 18 महीनों में मजबूत दिखे हैं। देश का बुनियादी आधार मजबूत है, जीडीपी वृद्घि ने वापसी की है, सेवा और निर्माण क्षेत्र दोनों अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और बैंकों ने किसी भी तरह के झटकों का सामना करने के लिए अपनी बैलेंस शीट को मजबूत बनाया है। वैश्विक रूप से निवेशक भारत को चीन के मुकाबले लिए अच्छा मान रहे हैं और विदेशी निवेश पूंजी बाजारों के जरिये आ रहा है। मेरा मानना है कि ये रुझान बरकरार रहेंगे।
क्या आप मानते हैं कि मौजूदा अस्थिरता का सौदों की रफ्तार पर प्रभाव पड़ेगा?
डॉलर में मजबूती और बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल से पूंजी उभरते बाजारों से अमेरिका में लौट सकती है। सौदे करने की गति कोविड की दूसरी लहर से प्रभावित हो सकती है। कोविड से हमारा देश, इसके लोग और हेल्थकेयर प्रणाली बुरी तरह से प्रभावित हुई है। भारत को अल्पावधि में अपने टीकाकरण कार्यक्रम के साथ इस दिशा में बेहद तेजी से आगे बढऩे और मध्यावधि में हमें अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाने की जरूरत है। हमारी अर्थव्यवस्था बार बार लॉकडाउन को सहन नहीं कर सकती है।
मार्च तिमाही में अच्छी तादाद में आईपीओ बाजार में आए। क्या आपको कइ और कंपनियों द्वारा अपने आईपीओ लाए जाने की संभावना है?
हां। मुझे उम्मीद है कि यह रुझान बरकरार रहेगा। बड़ी तादापद में भारतीय कंपनियों ने निवेशकों तक पहुंच बनाई है और उन्होंने वैश्विक निजी इक्विटी कंपनियों की उपस्थिति को देखते हुए खुलासा मानकों को मजबूत बनाया है। बाजार आकर्षक मूल्यांकन पेश कर रहे हैं और इसलिए यह धारणा बरकरार रहेगी, हालांकि हमें यह समझने की जरूरत होगी कि महामारी की दूसरी लहर बाजार की अस्थिरता को किस हद तक प्रभावित करेगी।
क्या शीर्ष-200 से अलावा भी कंपनियों के नए शेयरों के लिए मांग है?
यह मांग क्षेत्र और प्रबंधन टीमों की गुणवत्ता तथा प्रशासनिक ढांचों पर निर्भर है। ई-कॉमर्स, हेल्थ टेक्नोलॉजी, शिक्षा प्रौद्योगिकी, वित्तीय प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा, कृषि रसायन और दवा कंपनियां अच्छी पूंजी आकर्षित कर रही हैं। कोविड से देश के हरेक क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की पहुंच बढ़ी है। इस क्षेत्र में दिलचस्पी दिखाने वाली सभी कंपनियां अच्छा पूंजी प्रवाह आकर्षित कर रही हैं।
कौन से क्षेत्र या थीमों का कोष उगाही पर दबदबा रहेगा?
प्रौद्योगिकी क्षेत्र, और इसके कारणों पर हम चर्चा कर चुके हैं। हेल्थकेयर, फार्मा और बीमा भी इस लिहाज से मजबूत हैं क्योंकि सरकार और लोगों ने हमारे नागरिकों के स्वास्थ्य पर ज्यादा खर्च किया है। इसके अलावा उपभोक्ता क्षेत्र मुख्य रूप से शामिल है, क्योंकि इसने भी शहरी मध्य वर्ग आबादी और मजबूत शहरी अर्थव्यवस्था की अनुकूल जनसांख्यिकी पर दांव लगाया है।
कोविड-19 से कोष उगाही गतिविधि किस हद तक प्रभावित हुई है?
कोविड-19 की वजह से सभी क्षेत्रों में समेकन थीम को बढ़ावा मिला है और बड़ी कंपनियां अच्छी तरह से पूंजीकृत हो रही हैं। बाजार में ज्यादातर पूंजी बड़ी, ज्यादा पूंजीकृत कंपनियों की ओर जा रही है और इसलिए इन कंपनियों का अच्छे मूल्यांकन पर नियंत्रण है।
क्या भारतीय प्रौद्योगिकी या ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा घरेलू तौर पर या अमेरिका में सूचीबद्घता पर जोर देना उचित है?
यह कंपनी के आकार पर निर्भर करता है। मझोले आकार की कंपनियों को भारत में सूचीबद्घता बरकरार रखनी चाहिए। बड़े आकार की कंपनियां अमेरिकी बाजारों पर इस विकल्प के तौर पर देख सकती हैं। हालांकि भारतीय बाजार मजबूत नहीं हैं और बड़ी समस्याओं का मुकाबला करने में ज्यादा सक्षम नहीं हैं।