भारत की सबसे बड़ी सरकारी पनबिजली उत्पादन कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड ने पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) बनाने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार से साझेदारी की है। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारत की बड़ी पनबिजली परियोजनाओं का संचालन करने वाली एनएचपीसी अपनी भौगोलिक पहुंच का विस्तार करने और अपने ऊर्जा पोर्टफोलियो के प्रसार के लिए पीएसपी में पांव फैला रही है।
अधिकारियों ने कहा कि इन परियोजनाओं की कुल क्षमता बढ़कर 6 से 8 गीगावॉट तक पहुंच सकती है। एंजल (एपीजेनको एनएचपीसी ग्रीन एनर्जी कंपनी) नामक संयुक्त उद्यम को आंध्र प्रदेश सरकार ने 2 पीएसपी का काम सौंपा है, जिनकी कुल क्षमता 2 गीगावॉट है।
एनएचपीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आरके चौधरी ने कहा कि कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय ने एंजल के गठन को मंजूरी दे दी है। चौधरी ने कहा, ‘शुरुआत में आंध्र सरकार ने एंजल को 2 गीगावॉट की 2 परियोजनाओं का काम दिया है। वे 5 और परियोजनाओं का काम देंगे।’इन पीएसपी में सौर ऊर्जा परियोजनाएं भी स्थापित की जाएंगी। चौधरी ने कहा, ‘आंध्र सरकार सौर बिजली संयंत्रों के लिए पीएसपी के नजदीक जमीन देने को सहमत हो गई है।’ उन्होंने कहा कि इससे मिलने वाली सौर बिजली का इस्तेमाल स्टोरेज परियोजना में पानी चढ़ाने के लिए होगा।
चौधरी ने कहा कि एनएचपीसी महाराष्ट्र, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ भी बातचीत कर रही है, जिसका मकसद पीएसपी पोर्टफोलियो बढ़ाकर 15 से 16 गीगावॉट करना है। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा बांधों में पीएसपी की योजना बनाए जाने की संभावना है। हम मध्य प्रदेश के इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांध में पीएसपी बनाने पर काम कर रहे हैं। गुजरात सरकार ने सरदार सरोवर बांध के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने और वहां 1.2 गीगावॉट के पीएसपी संचालन में मदद के लिए एनएचपीसी से अनुरोध किया है।’
केंद्र सरकार ने हाल ही में पीएसपी को नीतिगत बल दिया है। इस तकनीक को कुछ मौजूदा योजनाओं में शामिल किया गया है और हरित ऊर्जा के लिए नई वित्तीय छूट दी गई है। पिछले केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने कहा था कि ऊर्जा परिवर्तन की रणनीति के तहत पंप हाइड्रो स्टोरेज और छोटे मॉड्युलर न्यूक्लियर रिएक्टरों के लिए नीति शामिल होगी, जो भारत में बनाए जाएंगे।