सरकारी टेलीकॉम कंपनी एमटीएनएल (MTNL) मौजूदा दौर में रिलायंस जियो (Relaince Jio), एयरटेल (Airtel) और वोडाफोन आईडिया (Vodafone-Idea) जैसे प्राइवेट कंपनियों के खिलाफ दौड़ में बने रहने के लिए संघर्ष कर रही है।
एक समय लगभग हर घर में एमटीएनएल का सिक्का चलता था। ब्रॉडबैंड से लेकर मोबाईल कनेक्शन तक में इसी सरकार का कंपनी का बोलबाला था। हालांकि, कंपनी अब बाजार में बने रहने के लिए भी संघर्ष कर रही है।
कर्मचारियों को VRS पेशकश कर रही MTNL
सरकार ने एमटीएनएल के स्वतंत्र परिचालन को बंद कर दिया है और ग्राहक अब सीधे एमटीएनएल से रिचार्ज नहीं कर सकते हैं। इसके बजाय, रिचार्ज समेत एमटीएनएल के संचालन को अब बीएसएनएल द्वारा प्रबंधित किया जाएगा। इसके अलावा एमटीएनएल अपने कर्मचारियों को वीआरएस (वॉलंटरी रिटायरमेंट स्किम) की पेशकश की जा रही है।
सरकार ने अपने परिचालन को पूरी तरह से बीएसएनएल को ट्रांसफर करने से पहले एमटीएनएल के 30,000 करोड़ रुपये के भारी कर्ज का पुनर्गठन करने की योजना बनाई है।
हालांकि, एमटीएनएल आधिकारिक तौर पर अभी बंद नहीं हुई है लेकिन इसका स्वतंत्र अस्तित्व अब समाप्त किया जा रहा है। साथ ही इस टेलीकॉम कंपनी की सेवाएं बीएसएनएल के नियंत्रण में जारी रहेंगी।
सरकार एमटीएनएल के 3,000 कर्मचारियों को वीआरएस देने या उन्हें बीएसएनएल में ट्रांसफर करने की भी योजना बना रही है। एमटीएनएल की बिगड़ती फाइनेंशियल हेल्थ के कारण इसका ऑपरेशन बीएसएनएल को सौंपा जा रहा है।
एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों तकनीकी दौड़ में पीछे
जहां प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां फ़ास्ट इंटरनेट और बेहतर कॉलिंग सर्विस देकर 4जी और 5जी की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रही हैं, वहीं सरकारी टेलीकॉम कंपनियां अभी भी संघर्ष कर रही हैं।
एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों इस तकनीकी दौड़ में पिछड़ गए हैं, जिसके चलते इन दोनों कंपनियों के ग्राहकों की संख्या बहुत ज्यादा घट गई है। रिलायंस जियो 40.48 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ बाजार में सबसे आगे है।
इसके बाद भारती एयरटेल 33.12 प्रतिशत और वोडाफोन-आइडिया 18.77 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर है। इसकी तुलना में बीएसएनएल (BSNL) के पास केवल 7.46 प्रतिशत और एमटीएनएल (MTLN) के पास मात्र 0.16 फीसदी ग्राहक आधार है।