भारत की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के सीईओ के. कृतिवासन ने कहा है कि अमेरिका में लगने वाले टैरिफ के कारण रिटेल, ट्रैवल और ऑटोमोबाइल सेक्टर में काम करने वाले उनके क्लाइंट्स पर असर पड़ सकता है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि अगर यह अनिश्चितता लंबे समय तक बनी रही, तो ये कंपनियां खर्चों में कटौती कर सकती हैं। हालांकि, बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर इस समय इससे प्रभावित नहीं है। यह TCS की आय का लगभग एक तिहाई हिस्सा है।
कृतिवासन ने कहा कि ग्लोबल ट्रेड वॉर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों में बार-बार बदलाव के कारण बाजार की स्थिति का अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है। इससे कंपनियां बड़े खर्चों पर फैसले लेने में हिचक रही हैं। उन्होंने कहा, “रिटेल, हॉस्पिटैलिटी, ट्रैवल और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों पर हमें नजर रखनी होगी। अगर अनिश्चितता ज्यादा समय तक रही, तो ये कंपनियां लागत कम करने पर ध्यान दे सकती हैं। अभी तक उन्हें इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है।”
TCS की आय में रिटेल दूसरा सबसे बड़ा और मैन्युफैक्चरिंग चौथा सबसे बड़ा हिस्सा देता है, जबकि बैंकिंग सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। कंपनी की लगभग आधी कमाई उत्तरी अमेरिका से आती है, जो भारतीय IT कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है।
TCS ने गुरुवार को अपनी चौथी तिमाही के नतीजे जारी किए, जो अनुमान से कम रहे। कंपनी ने चेतावनी दी कि क्लाइंट्स गैर-जरूरी प्रोजेक्ट्स पर फैसले टाल रहे हैं। फिर भी, कृतिवासन को उम्मीद है कि यह अनिश्चितता ज्यादा समय तक नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2026, 2025 से बेहतर होगा, क्योंकि क्लाइंट्स को पुराने सॉफ्टवेयर और सिस्टम को बदलने की जरूरत होगी।
उन्होंने यह भी बताया कि क्लाइंट्स द्वारा अपने IT वेंडर्स की संख्या कम करने की प्रवृत्ति से TCS को फायदा हुआ है। कृतिवासन ने कहा, “जब क्लाइंट्स लागत कम करने पर ध्यान देते हैं, तो वे अपने सर्विस प्रोवाइडर्स की संख्या घटाते हैं। TCS को 2025 में ऐसी कंसॉलिडेशन प्रक्रियाओं से लाभ मिला है।” उन्होंने कहा कि इस तरह TCS वैश्विक चुनौतियों के बीच भी अपने बाजार में मजबूती बनाए रखने की कोशिश कर रही है।