Tata Steel ने अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में शानदार प्रदर्शन किया है। जून तिमाही में कंपनी का मुनाफा दोगुना से ज्यादा होकर 2,007.36 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पिछले साल की इसी तिमाही में यह 918.57 करोड़ रुपये था। कंपनी ने यह उपलब्धि खर्चों में कमी और बेहतर प्रबंधन के दम पर हासिल की। हालांकि, इस दौरान कंपनी की कुल आय थोड़ी कम होकर 53,466.79 करोड़ रुपये रही, जो पिछले साल की अप्रैल-जून तिमाही में 55,031.30 करोड़ रुपये थी।
Tata Steel ने अपने खर्चों को 52,389.06 करोड़ रुपये से घटाकर 50,347.31 करोड़ रुपये कर लिया। इसमें कच्चे माल की लागत भी 20,642.17 करोड़ रुपये से घटकर 18,028.08 करोड़ रुपये हो गई। भारत में Tata Steel की आय 32,957.89 करोड़ रुपये से कम होकर 31,014.36 करोड़ रुपये रही। फिर भी, कंपनी ने अपने 25,000 से ज्यादा डीलरों और वितरकों के बड़े नेटवर्क के जरिए ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान दिया। इससे कंपनी को ज्यादा मूल्य वाले उत्पाद बेचने में मदद मिली।
Tata Steel के सीईओ टी.वी. नरेंद्रन ने कहा कि कंपनी ने नई सुविधाओं से भी अच्छा फायदा उठाया और ग्राहकों की मांग के हिसाब से काम किया।
Tata Steel की यूरोप इकाइयों ने भी इस तिमाही में बेहतर प्रदर्शन किया। यूके में कंपनी की आय 536 मिलियन पाउंड रही। कंपनी को अपना नुकसान को कम करने में भी सफलता मिली, जहां EBITDA घाटा 80 मिलियन पाउंड से घटकर 41 मिलियन पाउंड रहा। हालांकि, मांग कम होने के कारण डिलीवरी 0.60 मिलियन टन पर थोड़ी कम रही। दूसरी ओर, नीदरलैंड्स में कंपनी की आय 1,519 मिलियन यूरो रही और EBITDA 14 मिलियन यूरो से बढ़कर 64 मिलियन यूरो हो गया। इस दौरान 1.70 मिलियन टन तरल स्टील का उत्पादन हुआ और 1.50 मिलियन टन की डिलीवरी की गई।
कंपनी ने भारत में अपनी 5 मिलियन टन प्रति वर्ष की ब्लास्ट फर्नेस को कलिंगनगर में अच्छी तरह से शुरू किया है। इसके अलावा, 2.2 मिलियन टन की कोल्ड रोलिंग मिल में एक गैल्वनाइजिंग लाइन शुरू हो चुकी है। लुधियाना में इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस का निर्माण चल रहा है, जबकि यूके में 14 जुलाई को इसकी शुरुआत के लिए भूमिपूजन हुआ। नीदरलैंड्स में डीकार्बनाइजेशन के लिए सरकार के साथ बातचीत चल रही है, जिसमें वित्तीय सहायता की उम्मीद है। कंपनी ने इस तिमाही में 3,829 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च भी किया।