टाटा समूह की 23 सूचीबद्ध कंपनियों की कर्मचारियों की संख्या में वित्त वर्ष 23 की तुलना में वित्त वर्ष 2024 में 1.7 प्रतिशत तक का मामूली इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 8,26,474 हो गई है। इन कंपनियों की वार्षिक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
इस नरमी का मुख्य कारण टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) है। कमजोर वैश्विक मांग और गैर-जरूरी खर्च में गिरावट के बीच भारतीय सूचना-प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र की कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या में गिरावट नजर आई है। टीसीएस ने पिछली कुछ तिमाहियों में खाली पड़े सभी पदों को नहीं भरा है। दूसरी तरफ समूह की खुदरा शाखा ट्रेंट के कर्मचारियों की संख्या में 52 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। इसने देश भर में 850 से अधिक स्टोर में अपनी मौजूदगी बढ़ाई है।
इन 23 सूचीबद्ध कंपनियों ने शेयर बाजार को जो आंकड़े पेश किए हैं, उनके अनुसार समूह की सबसे बड़ी नियोक्ता टीसीएस में कर्मचारियों की कुल संख्या वित्त वर्ष 24 में घटकर 6,01,546 रह गई जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 6,14,795 थी।
टाटा टेक्नोलॉजिज में कर्मचारियों की संख्या वित्त वर्ष 24 में 13.6 प्रतिशत कम होकर 12,500 रह गई जो पिछले वर्ष 11,000 थी। टीसीएस को छोड़कर, जिसकी इन 23 कंपनियों के कर्मचारियों की संख्या में लगभग 73 प्रतिशत हिस्सेदारी है, बाकी कंपनियों का कर्मचारी आधार 13.7 प्रतिशत बढ़कर 2,24,928 हो गया।
कर्मचारियों की संख्या में गिरावट वाली लगातार तीन तिमाहियों के बाद जून तिमाही के परिणाम में टीसीएस ने 5,000 से अधिक कर्मचारी जोड़ और 11,000 नए लोगों को काम पर रखा। इससे 30 जून, 2024 तक उसके कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 6,06,998 हो गई। समूह ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की।
बाजार मूल्य के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की वार्षिक रिपोर्टों के अनुसार वित्त वर्ष 24 में इसके कर्मचारियों की संख्या में 11 प्रतिशत या 42,000 कर्मचारियों की कमी आई है।
अलबत्ता विश्लेषक समूह की गैर-सूचीबद्ध नियंत्रक कंपनी टाटा संस को इसमें शामिल नहीं करते हैं जिसके पास एयर इंडिया और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स समेत कई कारोबार हैं और उनमें कर्मचारियों की खासी बड़ी संख्या है। लेकिन चूंकि ये कंपनियां गैर-सूचीबद्ध हैं, इसलिए उनके कर्मचारियों की संख्या अभी सार्वजनिक नहीं हैं।
टाटा समूह सेमीकंडक्टर और आईफोन विनिर्माण सहित नए उपक्रमों में करीब 120 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है। इससे आने वाले वर्षों में गैर-सूचीबद्ध कंपनियों और पूरे समूह में कर्मचारियों को काम पर रखे जाने में वृद्धि होने की उम्मीद है।