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देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने JSW Steel द्वारा भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के अधिग्रहण के लिए पेश की गई ₹19,700 करोड़ की रेजोल्यूशन योजना को अवैध करार दिया है और कर्ज में डूबी इस कंपनी के लिक्विडेशन (दिवाला प्रक्रिया के तहत परिसमापन) का आदेश दे दिया है।
यह योजना पहले BPSL के कर्जदाताओं की समिति (CoC) से मंजूरी पा चुकी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि JSW Steel ने अधिग्रहण के लिए फंडिंग में इक्विटी के साथ-साथ ऑप्शनली कनवर्टिबल डिबेंचर्स (OCDs) का भी इस्तेमाल किया, जो कि दिवाला कानून के तहत नियमों का उल्लंघन है। अदालत ने यह भी कहा कि तय समयसीमा में रेजोल्यूशन योजना लागू नहीं की गई, जो कानूनन अनिवार्य है।
इस फैसले के बाद JSW Steel के शेयरों में 5% की गिरावट दर्ज की गई।
कंपनी जिस कर्ज में डूबी फर्म को इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया के जरिए खरीदना चाह रही थी, उस पर कोर्ट का फैसला उसके खिलाफ गया है।
इस फैसले के बाद JSW स्टील ने कहा है कि वह कोर्ट का औपचारिक आदेश मिलने के बाद अपने कानूनी सलाहकारों के साथ मिलकर इस पर समीक्षा करेगी और आगे की रणनीति तय करेगी।
कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, “हमें यह जानकारी मिली है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आज, यानी 2 मई 2025 को, कुछ आधारों पर NCLAT द्वारा मंजूर रिजॉल्यूशन प्लान को खारिज कर दिया है। हालांकि, अभी तक हमें इस फैसले की आधिकारिक प्रति नहीं मिली है, जिससे हम विस्तार से यह समझ सकें कि किन आधारों पर योजना को खारिज किया गया और इसके क्या असर होंगे।”
बयान में आगे कहा गया कि कंपनी, अपने कानूनी सलाहकारों के साथ मिलकर आदेश की समीक्षा के बाद आगे की रणनीति तय करेगी। कंपनी ने यह भी आश्वासन दिया कि जैसे ही कोई नया अपडेट होगा, वह नियमानुसार शेयर बाजार को इसकी जानकारी देगी।
JSW Steel द्वारा 2021 में भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) का अधिग्रहण इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत किया गया था। शुरुआत में कंपनी ने BPSL में 49% हिस्सेदारी खरीदी थी, जिससे ओडिशा में 2.75 मिलियन टन सालाना (MTPA) स्टील उत्पादन क्षमता जुड़ गई थी। इसी साल 1 अक्टूबर 2021 से JSW ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 83.3% कर ली थी।
हालांकि, JSW Steel को BPSL के लिए सफल रेजोल्यूशन आवेदक घोषित किया गया था, लेकिन यह डील शुरू से ही कानूनी अड़चनों में उलझी रही। 2020 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने BPSL और उसके पूर्व शीर्ष प्रबंधन को ₹47,204 करोड़ के बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस में नामजद किया था, जिससे डील की प्रक्रिया लंबी खिंच गई।
हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने BPSL के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही रद्द कर दी थी, जिससे JSW को थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे रेजोल्यूशन प्लान को ही खारिज कर दिया है। इस फैसले से सिर्फ JSW Steel ही नहीं, बल्कि BPSL के कर्मचारी, कर्जदाता और पूरा दिवालिया समाधान तंत्र प्रभावित हो रहा है।