सरकार ने ईलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के संचालन के लिए लाइसेंस दे दिया है। दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अमेरिकी कंपनी ने दो साल पहले लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। इसके साथ ही स्टारलिंक अब एयरटेल के निवेश वाली यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस लिमिटेड के साथ सैटकॉम की दौड़ में आधिकारिक तौर पर शामिल हो गई है। वह अब भारत में अपनी सेवाओं के लिए ग्राहक बना सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि स्टारलिंक को भारत में उपग्रह आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए आवश्यक ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (जीएमपीसीएस) सर्विस लाइसेंस दिया गया है। कंपनी को विभाग से 7 मई को आशय पत्र जारी किया गया था और उसके ठीक एक महीने बाद लाइसेंस दिया गया है। कंपनी अब अपनी प्रौद्योगिकी के परीक्षण के उद्देश्य से स्पेक्ट्रम के लिए आवेदन कर सकती है। आवेदन जमा किए जाने के 15 से 20 दिनों के भीतर उसे परीक्षण के लिए स्पेक्ट्रम आवंटित कर दिया जाएगा।
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फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि स्टारलिंक को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) से अंतिम मंजूरी मिली है या नहीं। उपग्रह संचार के लिए एमेजॉन की प्रोजेक्ट कुइपर आखिरी बड़ी दावेदार है जिसे सरकार से मंजूरी मिलनी अभी बाकी है।
स्टारलिंक पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद अपने 7,600 से अधिक उपग्रहों के जरिये 125 से अधिक देशों में उपग्रह संचार सेवाएं प्रदान करती है। इन उपग्रहों का संचालन स्पेसएक्स द्वारा किया जाता है जो मस्क के स्वामित्व वाली एक अमेरिकी कंपनी है। अप्रैल में कंपनी को पाकिस्तान के अंतरिक्ष नियामक से अनंतिम पंजीकरण प्राप्त हुए। पाकिस्तान की सरकार ने कहा था स्टारलिंक को सभी मंजूरियां मिल जाएंगी और 2025 के आखिर तक सेवाएं शुरू होने की उम्मीद है। मई में बांग्लादेश के संचार अधिकारियों ने भी स्टारलिंक को आवश्यक लाइसेंस दिए थे।
भूटान फरवरी में स्टारलिंक कनेक्टिविटी हासिल करने वाला इस उपमहाद्वीप का पहला देश था। अप्रैल में प्रमुख दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल और रिलायंस जियो ने स्टारलिंक के साथ अलग-अलग सौदों की घोषणा की थी। फिलहाल स्टारलिंक का उपग्रह संचार नेटवर्क सबसे बड़ा है। वह विकासशील एवं कम आय वाले देशों में तेजी से अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है। इसी क्रम में उसने इस सप्ताह के आरंभ में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में अपनी सेवाएं शुरू की है।
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जीएमपीसीए लाइसेंस के लिए स्टारलिंक का आवेदन नवंबर 2022 से ही लंबित था। उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के स्वामित्व संबंधी खुलासा मानदंडों के अनुपालन में असमर्थता के कारण कंपनी का आवेदन अटका पड़ा था। इसके अलावा स्टारलिंक का सरकार के साथ उन नियमों पर भी गतिरोध दिखा था जिनके तहत अनुरोध किए जाने पर लाइसेंसधारी को सुरक्षा एजेंसियों को कॉल डेटा रिकॉर्ड प्रदान करना होगा और संकट के समय सरकार के निर्देश पर सेवाएं बंद करनी होंगी।