रूस की सरकार गमालेया इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित कोविड रोधी टीका स्पूतनिक वी भारत में बनाने के लिए केरल से बात कर रही है। रूस से बाहर स्पूतनिक वी के गिने-चुने संयंत्र बन रहे हैं, जिनमें केरल का संयंत्र भी शामिल हो सकता है। अप्रैल में मॉस्को की आर-फार्मा ने अपने जर्मनी स्थित संयंत्र में यह टीका बनाने का संकेत दिया था।
रूस के सॉवरिन वेल्थ फंड रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) ने स्पूतनिक वी के उत्पादन के लिए भारत सहित दुनिया भर में कई विनिर्माताओं के साथ गठजोड़ किया है। भारत में सबसे ज्यादा सालाना 1.1 अरब खुराक का उत्पादन किया जा रहा है। केरल का उद्योग विभाग रूस के उद्योग विभाग के साथ स्पूतनिक वी के अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण स्थल के लिए जमीन तलाशने पर बात कर रहा है। केरल के उद्योग मंत्री पी राजीव ने कहा, ‘केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम (केएसआईडीसी) को इस बातचीत का जिम्मा दिया गया है। पहला काम आशय पत्र तैयार करने का है और निगम मसौदा तैयार कर रहा है।’
राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय संयंत्र के लिए थोनक्कल के समीप जमीन तलाश सकती है। मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में सरकार के स्तर पर बातचीत चल रही है। आरडीआईएफ ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
भारत स्पूतनिक वी टीके के उत्पादन का अग्रणी केंद्र है। आरडीआईएफ ने कई भारतीय दवा कंपनियों से टीका उत्पादन के लिए करार किया है। इनमें सीरम इंस्टीट्यूट, ग्लैंड फार्मा, हेटरो बायोफार्मा, पैनेशिया बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा, वर्चो बायोटेक और मोरपेन शामिल हैं। देश में स्पूतनिक वी की सालाना 1.1 अरब खुराक बनेंगी, जिनमें 25 करोड़ खुराक यहीं के लिए होंगी।
भारत के अलावा स्पूतिनक वी का उत्पादन दक्षिण कोरिया, ब्राजील, चीन, सऊदी अरब और तुर्की में भी ठेके पर किया जा रहा है। अप्रैल में रूस की फार्मा कंपनी आर-फार्मा ने कहा था कि वह अपने जर्मनी के संयंत्र में हर महीने 80 लाख से 1 करोड़ खुराक बनाने की उम्मीद कर रही है।
वैश्विक साझेदारी के बावजूद स्पूतनिक वी के उत्पादन में तेजी नहीं आ पा रही है। रॉयटर्स के अनुसार मई में रूस ने केवल 3.3 करोड़ खुराक का उत्पादन किया, जो फाइजर और एस्ट्राजेनेका के हर महीने उत्पादन की तुलना में काफी कम है।
भारतीय विनिर्माण साझेदारों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘स्पूतनिक वी के उत्पादन की प्रक्रिया थोड़ी जटिल है और इसमें ज्यादा समय लगता है। उत्पाद को तैयार करने में करीब दो महीने लगते हैं, उसके बाद रेफरेंस उत्पाद से इसका मिलान करना होता है। अगर मिलान सही नहीं हुआ तो सारा माल बेकार हो जाता है।’
उक्त शख्स ने आगे बताया कि स्पूतनिक वी की दो खुराक में दो अलग-अलग वेक्टर्स का उपयोग होने से भी उत्पादन जटिल है। इसका सीधा मतलब है कि दो तरह का टीका बनाना होता है।
रूस देश से बाहर स्पूतनिक वी के विनिर्माण और बाजार की संभावना तलाश रही है क्योंकि रूस में इस टीके को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं है, जबकि इसका दावा 97.6 फीसदी असरदार होने का है। नेचर पत्रिका में प्रकाशित लेख के अनुसार मार्च में रूस में कराए सर्वेक्षण में 62 फीसदी लोगों ने कहा कि टीका लगवाने की उनकी कोई योजना नहीं है। रूस अब सरकारी और अन्य क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए टीकाकरण अनिवार्य कर रहा है, ताकि टीकाकरण की दर बढ़ सके।
