विमानन कंपनी स्पाइसजेट ने आज कहा कि उसने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए गुरुवार को स्विस कंपनी क्रेडिट सुइस को 15 लाख डॉलर का भुगतान किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अजय सिंह से कहा था कि अगर किफायती विमानन कंपनी ‘बंद’ हो जाए, तो भी उसे ‘चिंता नहीं’ है तथा अगर सिंह ने स्विस वित्तीय सेवा कंपनी को 15 सितंबर तक 15 लाख डॉलर का बकाया भुगतान नहीं किया, तो वह ‘कठोर कदम’ उठाएगी। अदालत ने सिंह को इस भुगतान का सबूत देने के लिए भी कहा था।
क्रेडिट सुइस और स्पाइसजेट तकरीबन 2.4 करोड़ डॉलर के बकाया कर्ज को लेकर वर्ष 2015 से कानूनी लड़ाई में उलझी हुई हैं। अगस्त 2022 में दोनों पक्षों ने सर्वोच्च न्यायालय को सूचित किया था कि वे एक समझौता कर रही हैं। इसके बावजूद मार्च 2023 में क्रेडिट सुइस ने सिंह और विमानन कंपनी के खिलाफ अवमानना का मुकदमा शुरू कर दिया। इसमें दावा किया गया था कि उन्होंने मामला निपटान की शर्तों में उल्लेख किए गए अपने भुगतान दायित्वों का पालन नहीं किया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस सप्ताह की शुरुआत में विमान कंपनी को 5,00,000 डॉलर का मासिक भुगतान करने तथा 15 सितंबर तक क्रेडिट सुइस को 10 लाख डॉलर का बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के खंड पीठ ने सिंह की कड़ी आलोचना करते हुए कहा था कि अगर वह ‘भुगतान में टाल-मटोल’ करते रहे, तो उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होने के आसार हैं।
विमानन कंपनी के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा ‘स्पाइसजेट ने क्रेडिट सुइस को 15 लाख डॉलर देकर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पालन किया है। यह भुगतान गुरुवार को किया गया था।’ सिंह फिलहाल स्पाइसजेट के पूर्व प्रवर्तक कलानिधि मारन के साथ विवाद में उलझे हुए हैं। इस विवाद की शुरुआत वर्ष 2015 से हुई थी, जब मारन ने स्पाइसजेट में अपनी 58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी महज दो रुपये में बेच दी थी।
वर्ष 2016 में मारन इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय में ले गए और आरोप लगाया कि विमान कंपनी ने उन्हें शेयर वारंट और तरजीही शेयर जारी करने में विफल रहकर उनके बिक्री समझौते का उल्लंघन किया है। इसके जवाब में अदालत ने वर्ष 2017 में विमानन कंपनी को 579 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया और दोनों पक्षों को मध्यस्थता के जरिये यह मामला सुलझाने के लिए प्रोत्साहित किया। वर्ष 2018 में एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने मारन को 579 करोड़ रुपये और ब्याज देने का फैसला सुनाया।
29 मई को उच्च न्यायालय ने स्पाइसजेट को मारन को 380 करोड़ रुपये का ब्याज देने का आदेश दिया था। हालांकि 7 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज को 380 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए विस्तार देने का स्पाइसजेट का अनुरोध खारिज कर दिया।