किफायती सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी स्पाइसजेट ने आज कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष पहली तिमाही में कंपनी ने 600.50 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान दर्ज किया है जबकि पिछले साल की समान तिमाही में उसे 262.89 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। कंपनी ने कहा कि तिमाही के दौरान ज्यादातर समय उड़ानों का परिचालन नहीं हो पाया क्योंंकि महामारी पर लगाम कसने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन की घोषणा की थी।
बाजार की अग्रणी कंपनी इंडिगो ने इस अवधि में 2,844 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था। स्पाइसजेट का परिचालन राजस्व 83 फीसदी घटकर 514.7 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 3,002.1 करोड़ रुपये रहा था। इस बीच, परिचालन खर्च 1,303.2 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि में 2,887.2 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनी ने एक बयान में कहा, कोविड-19 के कारण परिचालन का मौजूदा माहौल मौजूदा नतीजे की तुलना पिछले साल की समान तिमाही से सही मायने में प्रतिबिंबित नहीं करती। पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च) में स्पाइसजेट का शुद्ध नुकसान 807.1 करोड़ रुपये रहा था जबकि पिछले साल की समान अवधि में उसे 56.3 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था।
स्पाइसजेट के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा, तिमाही में ज्यादातर समय उड़ानें निलंबित रही और इसकी आंशिक बहाली हो पाई। इसके अलावा इस महामारी के कारण मांग काफी ज्यादा कमजोर रही।
हालांकि स्पाइसजेट ने एक बयान मेंं कहा कि तिमाही के दौरान उसके विमानों के 66.4 सीट भरे रहे और यह आंकड़ा देश की सभी विमानन कंपनियों में सबसे बेहतर है। विमानन कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 16 फीसदी से ज्यादा रही।
कार्गो से स्पाइसजेट का राजस्व 144 फीसदी बढ़ा। लॉकडाउन की अवधि में वाणिज्यिक उड़ानें निलंबित थीं, पर स्पाइसजेट ने कार्गो ऑपरेटर के तौर पर काम शुरू किया और 25 मार्च से 7,000 से ज्यादा उड़ान का परिचालन किया और करीब 50,000 टन कार्गो का परिवहन किया। 7,000 उड़ानों में से 40 फीसदी अंतरराष्ट्रीय गंतव्य के लिए थे। स्पाइसजेट का इंटरनैशनल कार्गो नेटवर्क अब 44 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गंतव्य तक फैला हुआ है।
कंपनी ने कहा कि उड़ान सेवा बहाल होने के बाद से वह अभी कोविड-पूर्व के स्तर के 47 फीसदी के बराबर विमानंं की सीटेंं भरी हुई है। कंपनी ने कहा कि फिलिपींस, कजाकिस्तान, रूस, नीदरलैंड, यूएई, सऊदी अरब, ओमान, लेबनान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देशों में फंसे भारतीय नागरिकों को लाने के लिए 800 से ज्यादा चार्टर व वंदे भारत उड़ानों का परिचालन किया और 1.20 लाख यात्रियों को वापस लेकर आई।
