पिछले पांच साल में सभी उद्योगों के कुल पूंजीगत खर्च में दूरसंचार और डिजिटल क्षेत्र की भागीदारी वित्त वर्ष 2013-2017 के 9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-2022 के दौरान 17 प्रतिशत तक हो गई। पूंजीगत खर्च में इस क्षेत्र की भागीदारी अगले पांच साल में भी काफी अधिक रहने की संभावना है, क्योंकि 5जी सेवाओं की पेशकश में तेजी आई है।
150 से अधिक कंपनियों के आंकड़े पर आधारित सेंट्रम ब्रोकिंग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि दूरसंचार कंपनियों का पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2018-22 में करीब ढाई गुना बढ़कर 3.45 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो पूर्ववर्ती पांच साल में 1.44 लाख करोड़ रुपये था।
इससे दूरसंचार एवं डिजिटल क्षेत्र दूसरा सर्वाधिक पूंजीगत खर्च वाला बन गया है, जो इस मामले में वित्त वर्ष 2018 और वित्त वर्ष 2022 में सिर्फ तेल एवं गैस (जिसका पूंजीगत खर्च 6.29 लाख करोड़ रुपये) से पीछे है। वित्त वर्ष 2013-17 में, यह इस क्रम में पांचवें स्थान पर रहा, और तेल एवं गैस, वाहन, धातु एवं खनन, और यूटिलिटीज से पीछे रहा।
अध्ययन में विभिन्न क्षेत्रों – दूरसंचार, आईटी, एफएमसीजी, ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, तेल एवं गैस, यूटिलिटीज, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रसायन, धातु एवं खनन, लॉजिस्टिक, फार्मा, रिटेल, शुगर और सीमेंट को शामिल किया गया। 150 कंपनियों द्वारा कुल पूंजीगत खर्च जहां वित्त वर्ष 2013-17 में 16 लाख करोड़ रुपये था, वहीं पिछले पांच साल में यह बढ़कर 20.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
पूंजीगत खर्च में इस क्षेत्र की बढ़ती सक्रियता मुख्य तौर पर इस वजह से भी देखी गई, क्योंकि तीन निजी दूरसंचार कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने बड़ा निवेश किया। इन कंपनियों ने 2017 के अंत से पूरे देश में 4जी सेवाओं की पेशकश की। इन कंपनियों द्वारा देश के 95 प्रतिशत हिस्से में जी सेवाएं मुहैया कराने के बाद वित्त वर्ष 2022 में, 4जी पर निवेश काफी कम हो गया था।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान रिलायंस जियो का कुल पूंजीगत खर्च में बड़ा योगदान रहा। कंपनी ने नए सिरे से नेटवर्क तैयार करने पर करीब 2 लाख करोड़ रुपये खर्च किए। यदि इस राशि में स्पेक्ट्रम निवेश भी जोड़ दिया जाए तो यह और बढ़ जाएगी।
विश्लेषकों का मानना है कि पूंजीगत खर्च में दूरसंचार और डिजिटल क्षेत्र का योगदान अगले कुछ वर्षों में और बढ़ेगा, क्योंकि दूरसंचार कंपनियां 5जी सेवाएं पेश करने के लिए बड़ा निवेश करने की तैयारी कर रही हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार, जी सेवा के लिए महज नेटवर्क तैयार करने की लागत
2-2.25 लाख करोड़ आ सकती है। एयरटेल और जियो ने मार्च 2024 तक देश के कम से कम 75 प्रतिशत हिस्सों में 5जी सेवाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
दूरसंचार कंपनियों ने हाल में हुई नीलामी में भी करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खरीदा था, जिसके लिए उन्हें 20 साल के दौरान कि तों में भुगतान करना चाहिए और कुछ बड़ी पूंजी अगले पांच साल में चुकानी होगी। सूत्रों का कहना है कि जियो 5जी पर 2 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसमें से 1.2 लाख करोड़ रुपये सिर्फ नेटवर्क तैयार करने पर खर्च किए जाएंगे।