प्रतीकात्मक तस्वीर
एफएमसीजी कंपनियों की बिक्री वृद्धि में तिमाही आधार पर कुछ सुधार होने की उम्मीद है जबकि वित्त वर्ष 2026 की जून तिमाही में कीमत आधारित वृद्धि सीमित रह सकती है। ब्रोकरों का कहना है कि जून तिमाही में गर्मी से जुड़े उत्पादों की बिक्री में तेजी आती है, लेकिन इस बार जल्द मॉनसून की वजह से कंपनियों पर असर पड़ा है।
नोमुरा ने इस क्षेत्र पर अपनी पूर्वानुमान रिपोर्ट में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि जल्द मॉनसून के कारण कंपनियों के समर पोर्टफोलियो पर असर पड़ेगा। जूस, सॉफ्ट-ड्रिंक, वाटर, आइसक्रीम, कूलिंग हेयर ऑयल जैसी श्रेणियों वाली कंपनियों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ सकता है। हमें लग रहा है कि इन श्रेणियों में सालाना आधार पर बिक्री में गिरावट आएगी।’
तिमाही में ग्रामीण सुधार की रफ्तार बनी रही। लेकिन शहरी मांग, जो पिछली कुछ तिमाहियों से कंपनियों के लिए दबाव का कारण रही है, कमजोर लेकिन स्थिर बनी हुई है। तिमाही में बिक्री वृद्धि के बारे में नोमूरा का कहना है कि इसमें मामूली सुधार होगा और कई कंपनियों की बिक्री में वृद्धि पहले की तुलना में अब मूल्य-आधारित के बजाय मात्रा-आधारित होगी।
ब्रोकरेज की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बिक्री वृद्धि में सुधार ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, मैरिको, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स में दिखेगा जबकि अन्य कंपनियों के लिए यह काफी हद तक स्थिर बनी रहेगी।’
एमके ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि बिक्री में वृद्धि जनवरी-मार्च में दर्ज वृद्धि जितनी ही रहने की संभावना है और चुनिंदा कंपनियों में इसमें मध्यम सुधार देखने को मिल सकता है और कुछ को मात्रा संबंधी दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में मांग में गिरावट जारी रही। कमजोर मौसमी परिस्थितियों ने वृद्धि की रिकवरी को प्रभावित किया। इसमें कहा गया है, ‘एफएमसीजी कंपनियां कच्चे माल का लाभ उपभोक्ताओं को पहुंचाने के तौर पर उन्हें बेहतर प्रोत्साहन दे रही हैं।’
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने भी गर्मी के मौसम से जुड़े उत्पादों पर अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘समर श्रेणियों में शुरुआती उम्मीद की तुलना में कमजोर प्रदर्शन (विशेष रूप से मई में) की आशंका है। वरुण बेवरेजेज, इमामी, डाबर (फ्रूट जूस और ग्लूकोज), टाटा कंज्यूमर (रेडी टू ड्रिंक) और यूनाइटेड ब्रुअरीज के कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।’
फूड कंपनियों को कच्चे माल की कीमतों में नरमी का लाभ मिलने की संभावना है क्योंकि पाम तेल आयात शुल्क 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया गया है।
नोमूरा ने अपनी पूर्वानुमान रिपोर्ट में कहा है, ‘कच्चे माल की कीमतों में नरमी से असंगठित क्षेत्र की कंपनियों से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है। लेकिन हमारा मानना है कि इसमें अभी कुछ तिमाहियों का वक्त लगेगा। मजबूत ब्रांड, मूल्य निर्धारण शक्ति और प्रीमियम पोर्टफोलियो की अच्छी साख वाली कंपनियों पर प्रतिस्पर्धी तीव्रता वाले परिवेश में अपेक्षाकृत कम असर पड़ेगा।’
एमके ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में मार्जिन का दबाव रह सकता है।