कलकत्ता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रघुनाथपुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट से जुड़ी एक याचिका पर फैसला सुनाया। 27 सितंबर को दिए गए अपने फैसले में कोर्ट ने रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (R-Infra) के पक्ष में मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा। यह याचिका दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) की तरफ से अवॉर्ड को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। आर-इंफ्रा ने स्टॉक एक्सचेंज को दिए बयान में यह जानकारी दी।
DVC ने यह याचिका सितंबर 2023 में दायर की थी। कंपनी की स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के अनुसार, ऑर्बिटरेशन अवॉर्ड (मध्यस्थता विवाद) लगभग 780 करोड़ रुपये का है, जिसमें संचित ब्याज (accrued interest) शामिल है, और इसके अलावा 600 करोड़ रुपये के बैंक गारंटी को भी रिलीज किया जाएगा। कोर्ट ने अवॉर्ड को ‘प्री-अवार्ड ब्याज पर राहत और बैंक गारंटी (BG) पर ब्याज दर में कमी के 181 करोड़ रुपये के मामले को छोड़कर’ बरकरार रखा।
Reliance Infra ने कहा है कि वह मौजूदा समय में इस फैसले का विस्तार से रिव्यू कर रही है और कानूनी सलाह के आधार पर आगे की कार्रवाई करेगी। यह कार्रवाई या तो कोर्ट की तरफ से स्वीकृत अवॉर्ड को लागू करने या 27 सितंबर के निर्णय को चुनौती देने के संबंध में होगी।
कंपनी की वित्तीय वर्ष (FY) 2024 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने DVC के खिलाफ दिसंबर 2019 में एक मध्यस्थता (arbitration) शुरू की और जीत हासिल की थी। DVC को तब 898 करोड़ रुपये का भुगतान करने और 354 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जारी करने का निर्देश दिया गया था। कंपनी ने बैंक गारंटी प्रस्तुत करके जमा की गई नकद राशि को निकाला, जिसे इसके ऋणदाताओं द्वारा ऐसी गारंटी प्रदान करने के बदले में प्राप्त किया गया था।
सितंबर 2023 में, हाई कोर्ट ने अवॉर्ड को ‘चार मामलों को छोड़कर’ बरकरार रखा और फिर यह मामला दोनों पक्षों द्वारा अपील दायर करने के साथ बेंच के समक्ष लंबित था।
गौरतलब है कि रघुनाथपुर थर्मल पावर प्रोजेक्ट पश्चिम बंगाल में स्थित है। उसको दिसंबर 2007 में इंटरनेशनल कॉम्पिटिटिव बिडिंग (ICB) प्रक्रिया के तहत दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) द्वारा रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को सौंपा गया था। यह परियोजना 2×600 मेगावाट (MW) की क्षमता वाली थी, जिसे भारत सरकार की मेगा पावर पॉलिसी के तहत DVC द्वारा स्थापित किया जा रहा था।