जब मुकेश अंबानी ने बुधवार को रिलायंस को अपने स्वयं के 5जी नेटवर्क सॉल्युशन के साथ दावेदार के तौर पर घोषित किया तो यह यूरोपीय कंपनी एरिक्सन और नोकिया और चीनी कंपनियों हुआवे तथा जेडटीई जैसी वैश्विक कंपनियों के लिए स्पष्ट रूप से चुनौती थी, क्योंकि उनका इस बाजार में पारपंरिक तौर पर दबदबा रहा है।
रिलायंस ‘वर्चुअलाइज्ड 5जी नेटवर्क’ के तकनीकी बदलाव का लाभ उठा रही है जिससे मौजूदा हार्डवेयर-आधारित नेटवर्कों को सॉफ्टवेयर-केंद्रित प्लेटफॉर्मों में तब्दील करने में मदद मिल सकती है। आसान शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मौजूदा नेटवर्क ऐसी प्रॉपराइटरी तकनीक पर आधारित हैं जिसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों को उस समान विक्रेता से खरीदने की जरूरत होती है जो इन सिस्टम को मैंटेन और अपग्रेड भी करता है और ऑपरेटरों के लिए सीमित स्वायत्तता और विकल्प छोड़ता है।
विकसित किए जा रहे नए नेटवर्कों को ओपन प्लेटफॉर्मों पर बनाया जाएगा और ऑपरेटरों को अलग अलग खरीदारों से हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर खरीदने या बाद में ओपन प्लेटफॉर्म पर स्वयं बनाने की स्वतंत्रता होगी। वैकल्पिक तौर पर वे हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच सिस्टम इंटिग्रेशन और नेटवर्कों के संचालन के लिए आईटी कंपनियों के साथ समझौता कर सकेंगे।
रिलायंस ने अपना स्वयं का नया नेटवर्क बनाने पर तेजी से काम किया है। उसने 2018 में 6.9 करोड़ डॉलर में अमेरिका की रेडिसिस को खरीदा और 5जी सॉल्युशनों पर काम किया।
रिलायंस ने अपने दूरसंचार आरऐंडडी डिजाइन के निर्माण की दिशा में भी काम किया है। उदाहरण के लिए, रैनकोर टेक्नोलॉजीज (शुरू में रिलायंस की सहायक इकाई थी) ने ऐसे प्रमुख सॉफ्टवेयर निर्माण पर काम किया जिसमें उत्पाद और सेवाओं का निर्माण शामिल था। यह तब रिलायंस जियो के साथ भागीदारी में किया गया था। जियो ने अपनी स्वयं की प्रौद्योगिकी पर आधारित 5जी परीक्षण के लिए केंद्र से कुछ महीने पहले अनुमति हासिल की है।
अन्य स्तर पर, उसके कई निवेशकों और प्रमुख भागीदारों गूगल, फेसबुक, इंटेल, और क्वालकॉम (जो जियो प्लेटफॉम्र्स के जरिये रिलायंस के वित्तीय भागीदार पहले से हैं) भी ओपन रैन पॉलिसी कोएलीशन का हिस्सा बने। इस कोएलीशन में मुख्य तौर पर अमेरिकी कंपनियां (कुछ का कहनाहै कि इसे चीन पर दबाव बनाने के लिए स्थापित किया गया) शामिल हैं और 5जी के लिए रेडियो एक्सेस नेटवर्क में ओपन और इंटर-ऑपरेबल सॉल्युशनों को बढ़ावा देने और नई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए मई में इसे शुरू किया गया था।
विश्लेषकों का कहना है कि गूगल, फेसबुक और अन्य कंपनियां रिलायंस को सॉफ्टेवेयर और तकनीकी समर्थन मुहैया कराएंगी, जो उसके 5जी नेटवर्कों के लिए जरूरी होगा।
उसकी नई महत्वपूर्ण निवेशक गूगल पहले से ही एटीऐंडटी जैसी दूरसंचार कंपनियों के साथ उनके ग्राहकों को नए 5जी नेटवर्क इस्तेमाल में मदद करने की दिशा में काम कर रही है। विश्लेषकों का कहना है कि यह एक ऐसा महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें गूगल और रिलायंस सहभागिता कर सकती हैं।
रिलायंस जियो स्वय ओपन रैन अलायंस का सदस्य है। इस गठबंधन से प्रमुख दूरसंचार कंपनियां उसके सदस्य के तौर पर जुड़ी हुई हैं और यह 5जी वर्चुअलाइज्ड नेटवर्क के लिए मानक निर्धारित करने की दिशा में काम कर रहा है।
मुकेश अंबानी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने पर रिलायंस का 5जी नेटवर्क परीक्षण के लिए तैयार है और यह सेवा अन्य देशों में भी पेश की जा सकती है।