देश में अल्ट्रा लक्जरी मकानों की मांग बढ़ने के साथ ही इनकी मार्केटिंग का अंदाज भी एकदम अलहदा हो गया है। 20 करोड़ रुपये से अधिक दाम पर लक्जरी मकान बेच रहे डेवलपर ग्राहकों को लुभाने के लिए पुराने ढर्रे के विज्ञापन नहीं दे रहे। उसके बजाय वे मार्केटिंग के नए जमाने के तरीके अपना रहे हैं।
इसके लिए प्रॉपर्टी दिखाने से पहले ग्राहकों की प्रोफाइलिंग, मकान के अंदर की साज-सज्जा दिखाने के लिए ऑग्मेंटेड रिएलिटी, वर्चुअल टूर और चुनिंदा लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय शो किए जा रहे हैं। ऑनलाइन विज्ञापनों, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसरों के जरिये और विशिष्ट सदस्यता के माध्यम से भी मार्केटिंग की जा रही है।
अग्रणी रियल एस्टेट कंपनी प्रेस्टीज समूह अल्ट्रा-लक्जरी खरीदारों को अपॉइंटमेंट के जरिये आकर्षित कर रहे हैं। प्रेस्टीज में कारोबार विस्तार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आनंद रामचंद्रनने कहा, ‘ग्राहक को प्रॉपर्टी दिखाने से पहले उनके बारे में जानकारी जुटाई जाती है। ऐसा नहीं है कि कोई भी ग्राहक आ जाए और हम उसे प्रॉपर्टी दिखा दें। इस तरह की प्रॉपर्टी ग्राहकों को अपॉइंटमेंट के जरिये बुलाकर ही दिखाई जाती है।’
उन्होंने बताया कि कंपनी को कुछ ग्राहकों के प्रोफाइल मिलते हैं, जिसमें उनके बारे में पूरी जानकारी होती है। कंपनी प्रोफाइल को ठीक से तोलती-मोलती है और फिर ग्राहक को मिलने के लिए समय दिया जाता है। प्रेस्टीज ने हाल ही में मुंबई के मरीन लाइन्स इलाके में प्रेस्टीज ओशन टावर्स नाम से आवासीय परियोजना शुरू की है। इस परियोजना में हर मकान 20 से 25 करोड़ रुपये का है। लक्जरी मकानों की मांग इतनी ज्यादा है कि परियोजना में बनने वाले कुल 75 फ्लैटों में से 64 बिक भी चुके हैं।
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म सीबीआरई के चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी (भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने कहा, ‘लक्जरी मकानों के लिए भी आम आदमी को लुभाने की खातिर विज्ञापन लाने का दौरा पुराना पड़ गया है। अब डेवलपर कुछ खास ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए ऑनलाइन विज्ञापन और सोशल मीडिया अभियान चलाते हैं।’
बाजार पूंजीकरण के हिसाब से देश की सबसे बड़ी रियल्टी कंपनी डीएलएफ ने हाल ही में गुरुग्राम के फेज-5 में नई परियोजना लाने की घोषणा की है, जिसमें बनने वाले मकानों की कीमत 50 करोड़ रुपये के आसपास होगी। इसकी मार्केटिंग ‘केवल आमंत्रण के जरिये’ की जाएगी यानी मकान खरीदने वे ही आ पाएंगे, जिन्हें कंपनी बुलाएगी।
डीएलएफ होम डेवलपर्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक आकाश ओहरी ने कहा, ‘बाजार में कुछ खास लोगों के सामने ये मकान रखने से पहले हम अपने परिवार और दोस्तों के करीबी लोगों को इसके बारे में बताएंगे। इन लक्जरी प्रॉपर्टी का आकर्षण बनाए रखने के लिए इन्हें खास तौर पर डिजाइन किया गया है।’
अल्ट्रा-लक्जरी परियोजनाओं पर काम करने वाली डेवलपर कंपनी क्रिसुमी कॉर्पोरेशन ने कहा कि वह संभावित खरीदारों के लिए खास कार्यक्रम करती है। क्रिसुमी के संयुक्त प्रबंधक निदेशक मोहित जैन ने कहा, ‘मार्केटिंग बजट का बड़ा हिस्सा ऐसे खास आयोजनों पर खर्च होता है। इससे हम अपने लक्षित बाजार तक असरदार तरीके से पहुंच जाते हैं।’ जैन ने बताया कि उनकी कंपनी प्राइवेट क्लब सदस्यता तथा अन्य सुविधाएं भी देती हैं। उन्होंने कहा कि घर में फर्नीचर लगाने या डिजाइन विकल्प दिखाने के लिए ऑग्मेंटेड रिएलिटी का उपयोग किया जाता है।
प्रस्टीज के रामचंद्रन बताते हैं कि अल्ट्रा लक्जरी मकानों के लिए तीन तरह के खरीदार हो सकते हैं। इनमें पुराने पैसे वाले परिवार हैं, जिनकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी इस तरह के मकान खरीदती हैं। दूसरी श्रेणी में कंपनियों के शीर्ष अधिकारी होते हैं और तीसरी श्रेणी में यूनिकॉर्न उद्यमी तथा ज्यादा मूल्यांकन वाले स्टार्टअप फर्मों के मालिक ऐसे मकान खरीदना पसंद करते हैं।
रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक ने कहा कि डेवलपर वेल्थ मैनेजरों के जरिये संभावित खरीदारों तक पहुंचते हैं। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘वैश्विक बाजारों में नरमी है और एचएनआई तथा प्रवासियों सहित कई निवेशकों की नजर भारत के शहरों में निवेश करने पर है। इसीलिए वे वह लक्जरी मकान भी खरीद रहे हैं।’
के रहेजा कॉर्प होम्स के मुख्य कार्याधिकारी रमेश रंगनाथन ने कहा, ‘नए ग्राहकों को आकर्षित करने के साथ ही हम अपने मौजूदा ग्राहकों पर भी ध्यान देते हैं, जो हमारी परियोजनाओं के सबसे बड़े प्रचारक होते हैं।’ कंपनी मुंबई के हाजी अली और वर्ली में दो परियोजनाएं ला रही हैं, जिनमें मकानों के दाम 30 से 35 करोड़ रुपये होंगे।