बीते कुछ वर्षों से रियल एस्टेट क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। रियल एस्टेट के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है। लेकिन यह अभी कम ही है। निर्माण कार्यों से तो फिर भी महिलाएं जुड़ी हुई हैं। लेकिन सीनियर लेवल पर इनकी भागीदारी बहुत ज्यादा नहीं है। रियल एस्टेट उद्योग को आने वाले समय में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। रियल एस्टेट संगठन नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) की महिला इकाई नारेडको माही 27 जून को एक कन्वेंशन करने जा रही है। जिसमें रियल एस्टेट में महिलाओं की भागीदारी पर चर्चा की जाएगी।
नारेडको माही की चेयरपर्सन डॉ. अनंता सिंह रघुवंशी ने कहा कि भारत का रियल एस्टेट सेक्टर 265 डॉलर अरब से अधिक है, जो इस दशक के अंत तक एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है और यह राष्ट्रीय जीडीपी में लगभग 13 फीसदी का योगदान देगा, लेकिन इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी अभी भी 10 फीसदी के आसपास ही है। इसे अगले कुछ सालों में बढ़ाकर कम से कम 25 फीसदी करने की जरूरत है।
सीनियर लेवल पर महिलाओं की हिस्सेदारी इतनी भी नहीं है। इसे भी बढ़ाने की आवश्यकता है। निर्माण कार्यो में जरूर महिलाओं की हिस्सेदारी 25 फीसदी है। लेकिन यहां भी कुशल महिलाओं की कमी है। जिससे उन्हें कम पैसा मिलता है। इन्हें कुशल बनाने की जरूरत है। हालांकि रियल एस्टेट के कुछ क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में बदलाव आ रहा है।
नारेडको माही की अध्यक्ष स्मिता पाटिल ने कहा कि महिलाएं अब मार्केटिंग, लीगल, प्रोजेक्ट फाइनेंस और क्लाइंट रिलेशन्स जैसे पहले कठिन माने जाने वाले क्षेत्रों में भी दिखाई दे रही हैं। 20 फीसदी से अधिक पंजीकृत आर्किटेक्ट महिलाएं हैं। भारत में अब 30 फीसदी से अधिक स्टार्टअप महिलाओं के नेतृत्व में हैं। इसलिए रियल एस्टेट सेक्टर को भी इस लैंगिक संतुलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने होंगे।
अगले सप्ताह 27 जून को होने वाला नारेडको माही का चौथा कन्वेंशन महिलाओं द्वारा रियल एस्टेट क्षेत्र में लाए जा रहे बदलावों की सशक्त कहानियों और उनके वास्तविक अनुभवों को मंच देगा। इस कन्वेंशन का एक प्रमुख आकर्षण पिता-पुत्री की जोड़ी पर आधारित विशेष सत्र होगा, जो पीढ़ियों की रूढ़ियों को तोड़ते हुए आधुनिक रियल्टी नेतृत्व को आकार दे रही हैं। इसके अलावा ‘माही शेरोज़ का सम्मान, नीति मास्टर क्लास और वेलनेस लिविंग व सस्टेनेबल हाउसिंग’ जैसे सत्र भी होंगे, जो महामारी के बाद शहरी विकास में 16 फीसदी से अधिक वार्षिक वृद्धि दर के साथ एक प्रमुख रुझान बनकर उभरे हैं।