facebookmetapixel
HUL पर ₹1,987 करोड़ का टैक्स झटका, कंपनी करेगी अपीलSrikakulam stampede: आंध्र प्रदेश के मंदिर में भगदड़, 10 लोगों की मौत; PM Modi ने की ₹2 लाख मुआवजे की घोषणाCar Loan: सस्ते कार लोन का मौका! EMI सिर्फ 10,000 के आसपास, जानें पूरी डीटेलBlackRock को बड़ा झटका, भारतीय उद्यमी पर $500 मिलियन धोखाधड़ी का आरोपकोल इंडिया विदेशों में निवेश की दिशा में, पीएमओ भी करेगा सहयोगLPG-ATF Prices From Nov 1: कमर्शियल LPG सिलेंडर में कटौती, ATF की कीमतों में 1% की बढ़ोतरी; जानें महानगरों के नए रेटMCX पर ट्रेडिंग ठप होने से सेबी लगा सकती है जुर्मानासीआईआई ने सरकार से आग्रह किया, बड़े कर विवादों का तेज निपटारा होअक्टूबर में शेयर बाजार की मजबूत वापसी, निफ्टी-सेन्सेक्स में 4.5% से 4.6% की बढ़तडॉ. लाल पैथलैब्स ने शेयरधारकों को खुशखबरी दी, बोनस शेयर और 7 रुपये का अंतरिम लाभांश घोषित

Affordable housing: किफायती आवासों की चुनौतियों से चिंता

भारत में किफायती आवास की जबरदस्त मांग, लेकिन ऊंची लागत और बाजार दबाव से डेवलपर हिचकिचाए

Last Updated- November 07, 2024 | 10:48 PM IST
RBI का नया निर्देश: हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों के सार्वजनिक जमा नियम सख्त, सीमा में कटौती RBI's new instruction: Public deposit rules of housing finance companies tightened, limit reduced

बिज़नेस स्टैंडर्ड के बीएफएसआई इनसाइट समिट में उद्योग के दिग्गजों ने भारत के किफायती आवास क्षेत्र की चुनौतियों को उजागर किया। आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्र में किफायती घरों की जबरदस्त मांग है। बावजूद डेवलपर ऊंची लागत और बाजार के दबाव के कारण किफायती घरों की परियोजनाओं को लेकर लगातार हिचकिचाहट दिखा रहे हैं।

एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी टी. अधिकारी ने बातचीत के दौरान भारत में किफायती घरों की लगातार मांग को उजागर किया। लेकिन उन्होंने आपूर्ति पक्ष की महत्त्वपूर्ण बाधाओं का हवाला भी दिया।
किफायती आवास बाजार में उतरने को लेकर डेवलपरों की अनिच्छा पर चिंता जताई गई।

अधिकारी ने कहा, ‘प्रमुख चुनौतियों में से एक जमीन की ऊंची लागत है जिससे परियोजनाएं कम व्यवहार्य हो जाती हैं।’ जमीन अधिग्रहण और नियामक मंजूरी में अधिक समय लगने के कारण लागत और देरी बढ़ जाती है। इससे डेवलपर और अधिक हतोत्साहित होते हैं।

नाइट फ्रैंक के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक गुलाम जिया ने चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि किफायती घरों की जबरदस्त मांग होने के बावजूद भी डेवलपर इन घरों की तुलना में ज्यादा कमाई वाली परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हैं। इसका कारण बेहतर वित्तीय व्यवहार्यता है। उन्होंने प्रीमियम आवासों की तरफ रुझान का संकेत देते हुए सवाल किया, ‘अगर एक परियोजना से किसी संगठन को उसके वार्षिक राजस्व लक्ष्य से करीब दोगुना मिल जाता है तो फिर क्यों कोई डेवलपर किफायती घरों की अनेक परियोजनाएं लाएगा।’

जिया ने यह भी उल्लेख किया कि मौजूदा ऊंची ब्याज दरों का दोहरा प्रभाव पड़ा है। इससे मांग और आपूर्ति दोनों प्रभावित हुई हैं। हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) 2.0 से मांग बढ़ना तय है लेकिन आपूर्ति की तंगी चिंता की बात है। जिया ने कहा, ‘ क्योंकि पीएमएवाई 2.0 से सबसे निचले पायदान वाले को प्रोत्साहन देती है, ऐसे में मांग बढ़ने की उम्मीद है लेकिन आपूर्ति कम रहने की आशंका है।’

आधार हाउसिंग फाइनैंस के एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन देव शंकर त्रिपाठी ने भारत के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में किफायती घरों की जबरदस्त मांग को उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘अभी आवास की 95 प्रतिशत मांग इस खंड से आती है।’ लिहाजा इस आबादी के लिए आवास पहलों को अनुरूप बनाने की जरूरत है। त्रिपाठी ने बताया कि आवास ऋण के इच्छुक 64 प्रतिशत लोग 25 लाख रुपये से कम के ऋण के लिए आवेदन करते हैं जिससे किफायती घरों की बढ़ती मांग जाहिर होती है। उन्होंने भरोसे के साथ कहा, ‘किफायती घरों का अगले 25 साल तक मार्केट पर दबदबा रहेगा।’

पीएनबी हाउसिंग के एमडी और सीईओ गिरीश कोस्गी ने बाजार में खासी संभावनाएं होने के बावजूद किफायती आवासों की मांग और आपूर्ति में विषमता को उजागर किया। कोस्गी ने किफायती घरों में डेवलपरों की कम रुचि को उजागर करते हुए कहा, ’34 लाख करोड़ रुपये के बाजार में किफायती आवासों का कुल पोर्टफोलियो महज एक लाख करोड़ रुपये से कुछ अधिक है और यह बाजार की संभावना का एक हिस्सा भर है।’

First Published - November 7, 2024 | 10:48 PM IST

संबंधित पोस्ट