भारतीय रिजर्व बैंक के नए कदम से बाजार में नकदी कम होने के साथ ही भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में डर की तस्वीर सामने आने लगी है।
सभी का मानना है कि ऊंची ब्याज दरों, जो लगभग-लगभग तय ही हैं, से लागत बढ़ेगी, मांग में मंदी का दौर देखा जाएगा और मुनाफा कमाने की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा।
कंपनी के मुख्य कार्यकारियों का कहना है मुनाफा पहले से ही ईंधन की ऊंचीं कीमतों के कारण दबाव में है। ऐसी स्थिति में बाजार में बने रहने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है और वह है लागतों में कटौती, नई विस्तार योजनाओं पर रोक और अपनी कार्यकुशलता को बढ़ाना।
वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत का कहना है, इससे उद्योग जगत की विस्तार योजनाओं पर असर पड़ेगा और आगे इससे आर्थिक विकास में कमी आएगी। उन्होंने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक के चेयरमैन के सामने भी कोई दूसरा विकल्प नहीं था। यह कदम बढ़ती महंगाई दर पर लगाम लगाने के लिए उठाया गया है। लेकिन इससे उद्योग में बुरा असर पड़ने में मदद मिलेगी।’ धूत की इस बात से अन्य मुख्य कार्यकारी भी इत्तफाक रखते हैं।
जिंदल स्टील के निदेशक (वित्त) शेषगिरि राव का मानना है कि ब्याज दरें 0.50 से लेकर 1 प्रतिशत तक बढ़ेंगी। कंपनी की पूंजीगत खर्च योजना इससे प्रभावित होने वाली नहीं है, क्योंकि इसके लिए फंड इकट्ठा करने के लिए पहले ही गठजोड़ किया जा चुका है, लेकिन इसका काफी असर कार्यशील पूंजी की जरूरतों पर पड़ेगा। जिंदल स्टील को सालाना 3,500 करोड़ रुपये के लगभग कार्यशील पूंजी की जरूरत पड़ती है और इसमें से लगभग 20 से 30 प्रतिशत बैंकों से उधार ली जाती है।
राव का कहना है, ‘हमें अपनी लागतों में कमी करनी होगी और मुनाफा बचाए रखने के लिए अपनी कार्यकुशलता को भी बढ़ाना होगा।’ ऑटोमोबाइल वाहन निर्माता कंपनी हीरो होंडा के मुख्य वित्त अधिकारी रवि सूद का कहना है, ‘यह दोपहिया वाहन उद्योग के लिए काफी बुरा है। पूरे क्षेत्र में विस्तार योजनाएं ब्याज दर बढ़ने की वजह से बुरी तरह प्रभावित होंगी। दोपहिया वाहन उद्योग में लगभग 60 प्रतिशत खरीद कर्ज लेकर होती हैं।’
इसी प्रकार की स्थितियों की बात अंबुजा सीमेंट्स के प्रबंध निदेशक ए एल कपूर भी कहते हैं। उनका कहना है, ‘इसका सीमेंट उद्योग पर भी उतना ही असर पड़ेगा, जिसका किसी अन्य क्षेत्र पर। किसी भी तंत्र से नकदी का बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा और उसके बाद बिल्डरों और रियल एस्टेट डेवलपरों को मुश्किलों का समाना करना पड़ेगा।’
इन्फोसिस के निदेशक (मानव संसाधन) मोहनदास पई का कहना है, ‘भारतीय कंपनियों को आगे मुश्किल दिनों का सामना करना होगा, क्योंकि मांग में यकीनन गिरावट आने वाली है।’ उनका कहना है कि कर्मचारियों के वेतन में अच्छा-खास बढ़ा पाना भी मुमकिन नहीं है, क्योंकि कर्मचारियों को उनकी उम्मीदों में सच्चाई को भी ध्यान में रखना चाहिए।
तानाकशी
आरबीआई के इस कदम का उद्योग जगत पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
वेणुगोपाल धूत, वीडियोकॉन
कार्यशील पूंजी की जरूरतों पर इसका असर काफी बडा होगा।
शेषगिरि राव, जिंदल स्टील
ब्याज दर में हर 1 प्रतिशत के इजाफे से औसतन कॉर्पोरेट मुनाफे पर लगभग 25000 करोड़ रुपये का असर पड़ता है।
मोहनदास पई, इन्फोसिस
यह दोपहिया वाहन उद्योग के लिए बहुत बुरा है। इससे कंपनियों की विकास योजनाएं प्रभावित होंगी।
रवि सूद, हीरो होंडा