रेटिंग एजेंसी मूडीज ने आज कहा कि 15,000 करोड़ रुपये की नई पूंजी येस बैंक के लिए सकारात्मक है क्योंकि यह बैंक के पूंजीकरण को मजबूत बनाता है। यह उसके लेनदारों के लिए डिफॉल्ट का जोखिम भी कम करेगा।
17 जुलाई को येस बैंक ने 15,000 करोड़ रुपये की इक्विटी पूंजी जुटाने की गतिविधियां पूरी होने की घोषणा की थी। कामयाबी के साथ इक्विटी पूंजी जुटाना येस बैंक की तरफ से बाह्य बाजार तक एक बार फिर फंड जुटाने के लिए पहुंच को प्रतिबिंबित करता है। यह बैंक की वित्तीय सेहत मेंं सुधार भी बताता है और इससे जमाकर्ताओं का भरोसा बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। मूडीज ने एक बयान में यह जानकारी दी।
इक्विटी के जरिए जुटाई गई नई पूंजी बैंक के कॉमन इक्विटी टियर-1 (सीईटी-1) अनुपात को 6.3 फीसदी से 12.9 फीसदी पर पहुंचा देगा। यह आकलन बैंक की मार्च 2020 के आखिर की पूंजी की स्थिति पर आधारित है।
5 मार्च, 2020 को आरबीआई ने येस बैंक को मोरेटोरियम के दायरे में रख दिया था क्योंकि उसकी सॉल्वेंसी व लिक्विडिटी कमजोर थी। मोरेटोरियम के बाद आरबीआई और भारत सरकार ने उबारने की योजना पूरी की। इस योजना में भारत के सरकारी व निजी बैंकों की तरफ से पूंजी डाला जाना और आरबीआई की तरफ से नकदी का सहारा शामिल है।
साथ ही बैंंक के बेसल-3 अनुपालन वाले अतिरिक्त टियर-1 प्रतिभूतियों (8,415 करोड़ रुपये) को पूरी तरह से बट्टे खाते में डाल दिया गया। 18 मार्च, 2020 को आरबीआई ने येस बैंक से मोरेटोरियम हटा लिया।
पूंजी जुटाए जाने से येस बैंक का पूंजीकरण निजी क्षेत्र के अन्य बैंकों मसलन इंडसइंड बैंक के करीब पहुंच गया। यह कोरोना के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले असर से संभावित परिसंपत्ति दबाव पर बैंक की सुदृढ़ता में इजाफा करेगा।
जून 2020 को आरबीआई ने बैंक को टियर-2 बॉन्ड पर ब्याज देने से रोक दिया था क्योंकि वह नियामकीय पूंजी की अनिवार्यता को पूरा करने में नाकाम रहा था। बैंक ने 31 मार्च को पूंजी पर्याप्तता अनुपात 8.5 फीसदी रहने की बात कही थी, जो नियामकीय अनिवार्यता 9 फीसदी से कम है।
पूंजी जुटाए जाने के बाद बैंक अब टियर-2 डेट पर ब्याज देने में सक्षम हो जाएगा क्योंकि उसका सीएआर 19 फीसदी होगा, जो नियामकीय अनिवार्यता से ऊपर है। ऐसे में रेटिंग एजेंसी का कहना है कि टियर-2 डेट के धारकों का जोखिम कम हो जाएगा।