टैरिफ में बढ़ोतरी और प्रवर्तकों का सहारा खास तौर से वोडाफोन आइडिया जैसी कमजोर दूरसंचार कंपनी के लिए आवश्यक है ताकि वह एजीआर बकाए के भुगतान जैसी अतिरिक्त देनदारी को रिकवर कर सके। यह कहना है रेटिंग एजेंसियों का।
क्रिसिल के निदेशक नितेश जैन ने कहा, प्रभावित दूरसंचार कंपनियों को अकेले एजीआर बकाए को कवर करने के लिए हर महीने टैरिफ में 20 से 30 रुपये की बढ़ोतरी की दरकार होगी। एजीआर की देनदारी का दूरसंचार कंपनियों के क्रेडिट प्रोफाइल पर असर पड़ेगा। इसके अलावा प्रायोजकों की सहायता कमजोर दूरसंचार कंपनियों को अपना परिचालन बनाए रखने के लिए अहम होगी।
ब्रिकवर्क रेटिंग्स के निदेशक विपुल शर्मा ने कहा कि भारती एयरटेल बेहतर स्थिति में दिख रही है क्योंकि उसने अपने पूरे बकाए का अहम हिस्सा पहले ही चुका दिया है। वोडाफोन आइडिया को प्रवर्तकों से रकम की दरकार होगी या एक बार फिर टैरिफ में इजाफा करना होगा। संशोधन से पचिालकों की नकदी की स्थिति बेहतर होगी क्योंकि मूल मांग के मुताबिक उन पर दूरसंचार विाग का 50,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। हालांकि टैरिफ में बढ़ोतरी पूरे क्षेत्र की व्यवहार्यता के लिए अहम है।
केयर रेटिंग्स के सहायक निदेशक गौरव दीक्षित ने कहा, कमजोर इकाइयों को प्रवर्तकों से रकम की दरकार होगी और टैरिफ बढ़ाना होगा क्योंकि नकदी प्रवाह कमजोर है। 100 रुपये प्रति माह का एआरपीयू टिकाऊ नहीं है।
क्रिसिल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने एजीआर मसले पर आवश्यक स्पष्टता ला दी है। यह अल्पावधि के लिए सकारात्मक है क्योंकि नकदी प्रवाह पर राहत के अलावा भुगतान की अवधि 10 साल की हो गई है। हालांकि अभी भी देनदारी काफी है और यह प्रभावित कंपनियों की बैलेंस शीट पर दबाव डालेगा। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक बयान में ये बातें कही।
टैरिफ में बढ़ोरी पर ब्रिकवर्क ने कहा कि एआरपीयू 180-200 रुपये और मौजूदा ग्राहकों को बनाए रखने से ही दूरसंचार कंपनियों का दबाव कम हो सकता है। ब्रिकवर्क ने कहा, हमें लगता है कि और राहत के लिए दूरसंचर कंपनियां समीक्षा याचिका दाखिल कर सकती हैं।
