टाटा पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी की अगुआई में निजी क्षेत्र की विद्युत कंपनियां विगत कुछ वर्षों से अपनी बही खाता को चुस्त दुरुस्त करने में जुटी हैं। ब्याज लागत में कमी लाने के लिए ये कंपनियां सावधानीपूर्वक निवेश कर रही हैं और अपने ऋण का पुनर्वित्तपोषण कर रही हैं।
उदाहरण के लिए टाटा पावर ने पिछले तीन वर्षों में अपने समेकित शुद्घ ऋण में 11,400 करोड़ रुपये की कमी की है। कंपनी का ऋण 31 मार्च, 2021 को 36,559 करोड़ रुपये था। इस लक्ष्य को पाने के लिए कंपनी ने अपने कुछ गैर-प्रमुख निवेश का मुद्रीकरण किया और तरजीजी इश्यू के जरिये प्रमोटरों से ताजे इक्विटी जुटाए। दो वर्ष पहले कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात 2.5 रहा था।
टाटा पावर के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा ने कहा, ‘हमने बही खाता की सफाई के लिए सर्तकतापूर्वक निर्णय लिए और हमारे पास कई विकल्पों में से एक विकल्प था, कुछ अन्य कंपनियों में अपने निवेश की बिक्री करना। हमे टाटा संस से भी तरजीही पूंजी प्राप्त हुई जिससे पता चलता है कि वे हमारी क्षमता से अवगत थे। इस सभी कारणों से हमें ऋण में कटौती करने में मदद मिली।’
कंपनी ने वित्त वर्ष 2021 में अपने प्रमोटरों को 2,600 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयरों के तरजीही इश्यू पूरा किया जो मुख्य तौर पर कोयला आधारित मुंद्रा अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट में ऋण के पुनर्भुगतान के लिए था। ऐसा संयंत्र को अपने स्तर पर सक्षम बनाने की रणनीति के तहत किया गया था। इसके अलावा, इसने टाटा कम्युनिकेशंस में 2,150 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बेची। अपने जहाज को 1,600 करोड़ रुपये, दक्षिण अफ्रीकी पवन फार्मों को 700 करोड़ रुपये, प्रतिरक्षा करोबार को 600 करोड़ रुपये और 1,450 करोड़ रुपये में अन्य संपत्तिों की बिक्री की।
विद्युत क्षेत्र में सबसे बड़ी स्थापित उत्पादन क्षमता के साथ अदाणी पावर ने अपनी किसी भी संपत्ति का मुद्रीकरण नहीं किया बल्कि उसने कुछ संपत्तियों का अधिग्रहण ही किया। हालांकि उसने ऐसा ऋण समाधान योजना के आकर्षक मार्ग से किया क्योंकि इसमें संपत्तियों को लेना सस्ता होता है। ऐसे ही एक संपत्ति थी जीएमआर छत्तीसगढ़ एनर्जी लिमिटेड (जीसीईएल) जिसके पास छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के रायखेड़ा गांव में 1,370 मेगावॉट की सुपरक्रिटिकल विद्युत संयंत्र था। अदाणी ने जीसीईएल में 52.38 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रह ऋणदाताओं के एक कंसोर्टियम से किया और बाकी 47.62 फीसदी का अधिग्रहण जीएमआर समूह से किया। यह सौदा 3,530 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर वित्त वर्ष 2020 में पूरा हुआ।
हालांकि अदाणी पावर ने 2019-20 के दौरान अपने ऋण को आधा कर 11,498.93 करोड़ रुपये कर दिया। कंपनी ने ऐसा अपनी उधारी में बढ़ोतरी करके किया। 31 मार्च, 2019 को कंपनी के ऊपर उधारी 46,979.70 करोड़ रुपये थी जो 31 मार्च 2020 को बढ़कर 55,198.77 करोड़ रुपये हो गई।
कंपनी ने 2019-20 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘उधारी में बढ़ोतरी की प्रमुख वजह हाल में अधिग्रहित कंपनियों का अतिरिक्त ऋण और 1,600 मेगावॉट की निर्माणाधीन गोड्डा विद्युत परियोजना है। इसके अलावा परिचालनों के बढ़े हुए स्तरों के कारण उच्च कार्यशील पूंजी उधारी भी इसके लिए जिम्मेदार है।’ रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी पूंजी प्रबंधन करेगी।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी के लिए ऋण में कमी करने का मतलब न तो संपत्तियों का मुद्रीकरण है और नहीं पुनर्वित्तपोषण। जेएसडब्ल्यू एनर्जी के मुख्य वित्त अधिकारी प्रीतेश विनय ने बिजनेस स्टैंडर्ड कहा, ‘एक तरफ हमारे पास परिचालित संपत्तियों का पोर्टफोलियो है जो वार्षिक नकदी प्रवाहों का स्थायी प्रवाह उत्पन्न कर रहा है तो दूसरी तरफ पूंजीगत व्यय के लिए उपयुक्त रिटर्न प्रमाणित वृद्घि परियोजनाओं की कमी थी ऐसे में अपने आप ऋण में कटोती की स्थिति बनी जो आगे भी होती रहेगी। ऋण का हर वर्ष भुगतान हो रहा था। तीन वर्षों से एबिटा 3,000 करोड़ रुपये-3,500 करोड़ रुपये पर बना हुआ था।’
कंपनी का शुद्घ ऋण मार्च 2017 के 13,375 करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर से दिसंबर 2020 में 6,913 करोड़ रुपये के साथ करीब आधा रह गया।
शुद्घ ऋण की गणना सकल ऋण के मुकाबले कंपनी की नकद जमा के समायोजन से की जाती है।
