सरकार और कंपनियों के विज्ञापन पर अधिक व्यय से प्रिंट मीडिया के राजस्व में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 15 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में प्रिंट मीडिया का राजस्व 13 से 15 फीसदी बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये रह सकता है।
महामारी के कारण प्रिंट मीडिया की आय 2020-21 में 40 फीसदी लुढ़क गई थी। हालांकि, बाद में इसमें तेजी आई और 2021-22 और 2022-23 में इसमें क्रमश: 25 फीसदी और 15 फीसदी की वृद्धि हुई। क्रिसिल ने कहा कि उसका अनुमान उन कंपनियों के विश्लेषण पर आधारित है, जिसकी रेटिंग वह करती है।
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इन कंपनियों का क्षेत्र के कुल कारोबार में 40 फीसदी हिस्सा है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कंपनियों की कुल आय में 70 फीसदी योगदान विज्ञापनों का, जबकि 30 फीसदी ग्राहकों का है। एजेंसी ने कहा, ‘‘प्रमुख क्षेत्रों की कंपनियों के विज्ञापन पर अधिक खर्च और विधानसभा और अगले साल लोकसभा चुनावों को देखते हुए सरकार के विज्ञापन व्यय में तेजी की उम्मीद है। इससे देश के प्रिंट मीडिया क्षेत्र की आय 13 से 15 फीसदी बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये हो सकती है।’’
कारोबार बढ़ने के साथ अखबारी कागज के दाम में कमी से क्षेत्र के लाभ में तेजी की उम्मीद है और 2023-24 में यह 10 फीसदी बढ़कर 14.5 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। रेटिंग एजेंसी के निदेशक नवीन वैद्यनाथन ने कहा, ‘‘आने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार के विज्ञापन पर अधिक खर्च करने की संभावना है। इससे प्रिंट मीडिया के लिये राजस्व में वृद्धि की उम्मीद है। क्षेत्र की कुल विज्ञापन आय में पांचवां हिस्सा सरकारी क्षेत्र का है।’’
उन्होंने कहा कि दैनिक उपयोग के सामान, खुदरा, कपड़ा और फैशन आभूषणों की बढ़ती घरेलू मांग, नए वाहनों की पेशकश, उच्च शिक्षा के लिए बढ़ती प्राथमिकता, ऑनलाइन खरीदारी तथा बढ़ती रियल एस्टेट बिक्री विज्ञापन आय में वृद्धि को बनाये रखेगी। कुल विज्ञापन आय में इन क्षेत्रों की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई है।