ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों में चल रही मंदी का असर देश में अब पेंट कंपनियों के मुनाफे पर भी पड़ने जा रहा है।
इसकी वजह से उनके बहीखातों का रंग उड़ना कमोबेश तय है। इस डर से और कच्चे तेल की उबलती कीमतों की वजह से ये कंपनियां भी अब मुनाफा बचाने के लिए रंग रोगन की कीमतें बढ़ाने जा रही हैं।
कंसाई नेरोलक के प्रबंध निदेशक एच एम भरुका ने कहा, ‘सजावटी पेंटों की बात की जाए, तो कच्चे माल की लागत बढ़ने से जो बोझ हम पर पड़ रहा है, उसे हम ग्राहकों पर भी डाल सकते हैं।
अगले महीने हम इस श्रेणी के रंगों की कीमत 5 फीसद बढ़ा रहे हैं। लेकिन औद्योगिक रंगों के मामले में हम परेशानी में फंसेंगे क्योंकि इनकी कीमत बढ़ाना आसान नहीं है। बैंकों के पास कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम नहीं है और ब्याज दर भी बढ़ गई हैं, जिससे वाहन उद्योग की रफ्तार मंद पड़ी है। जाहिर है, मार हमारे कारोबार पर भी हुई है।’भारत में औद्योगिक पेंट का तकरीबन 2,100 करोड़ रुपये का कारोबार है और इसमें नेरोलक सबसे आगे है।
बाजार में उसकी तकरीबन 48 फीसद हिस्सेदारी है। बर्जर पेंट्स का इस बाजार के 13 फीसद हिस्से पर कब्जा है। नेरोलक और बर्जर पेंट्स जैसी कंपनियों के राजस्व का तकरीबन आधा हिस्सा सॉल्वेंट आधारित उत्पादों से ही आता है। इनमें कच्चे माल के तौर पर कच्चे तेल के उत्पाद ही इस्तेमाल होते हैं। पिछले 6 महीनों में कच्चे तेल की कीमतों और इन उत्पादों जैसे खनिज तारीपन का तेल के मूल्य में 50 फीसद की बढ़ोतरी हो गई है। इसलिए पेंट उत्पादों की लागत काफी बढ़ गई है।
इसके अलावा वाहन कंपनियों के काम आने वाले पेंट की बिक्री भी वाहन उद्योग की रफ्तार पर ही निर्भर करती है। बर्जर पेंट्स को 12 फीसद राजस्व इसी श्रेणी से मिलता है। पिछले काफी समय से यह उद्योग भी कच्चे माल की बढ़ती लागत और घटती बिक्री की दोहरी मार से परेशान है। पिछले साल वाहनों की बिक्री में तकरीबन 5 फीसद की कमी आई थी। इसकी वजह से वाहन निर्माताओं ने भी पेंट की खरीद कुछ कम कर दी, जिसका असर पेंट कंपनियों के बहीखातों पर इस बार बिल्कुल साफ नजर आया।
बर्जर पेंट्स के मार्केटिंग उपाध्यक्ष अभिजित रॉय ने कहा, ‘हम मंदी का असर कम करने के लिए अगले महीने अपने उत्पादों की कीमत 5 फीसद बढ़ाने जा रहे हैं। हम इमल्शंस पर पहले से ज्यादा जोर देंगे क्योंकि बाकी श्रेणियों के मुकाबले इस श्रेणी के पेंट ज्यादा बिक रहे हैं और इनका कारोबार भी लगातार बढ़ रहा है।’
पेंट बाजार की एक और दिग्गज खिलाड़ी एशियन पेंट्स पर महंगाई और मंदी की चाबुक शायद कुछ नरम रहेगी। इसकी वजह कंपनी के उत्पादों में ज्यादा विविधता होना है। उसके उत्पादों में इमल्शंस और सजावटी रंगों की हिस्सेदारी ज्यादा है।