facebookmetapixel
अगर अमेरिका ने Google-Meta बंद किए तो क्या होगा? Zoho के फाउंडर ने बताया भारत का ‘Plan B’Stocks To Watch Today: Swiggy, HAL, Patanjali Foods समेत इन 10 दिग्गज कंपनियों से तय होगा आज ट्रेडिंग का मूडजियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने सरकार से पूरे 6G स्पेक्ट्रम की नीलामी की मांग कीतेजी से बढ़ रहा दुर्लभ खनिज का उत्पादन, भारत ने पिछले साल करीब 40 टन नियोडिमियम का उत्पादन कियाअमेरिकी बाजार के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार का प्रीमियम लगभग खत्म, FPI बिकवाली और AI बूम बने कारणशीतकालीन सत्र छोटा होने पर विपक्ष हमलावर, कांग्रेस ने कहा: सरकार के पास कोई ठोस एजेंडा नहीं बचाBihar Assembly Elections 2025: आपराधिक मामलों में चुनावी तस्वीर पिछली बार जैसीरीडेवलपमेंट से मुंबई की भीड़ समेटने की कोशिश, अगले 5 साल में बनेंगे 44,000 नए मकान, ₹1.3 लाख करोड़ का होगा बाजारRSS को व्यक्तियों के निकाय के रूप में मिली मान्यता, पंजीकरण पर कांग्रेस के सवाल बेबुनियाद: भागवतधर्मांतरण और यूसीसी पर उत्तराखंड ने दिखाई राह, अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए यह मॉडल: PM मोदी

आउटसोर्सिंग कंपनियां : छोटी अवधि बड़े अनुबंध

Last Updated- December 05, 2022 | 4:28 PM IST

सूचना प्रौद्योगिकी और आउटसोर्सिंग कंपनियां अब कम कीमत में छोटी अवधि के अनुबंधों की राह पर  चल निकली हैं। परामर्श सेवा और शोध क्षेत्र की कंपनी डाटामॉनिटर के आंकड़े तो कम से कम इस बात की तस्दीक कर रहे हैं।
इसकी ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जनवरी 2007 से जनवरी 2008 तक होने वाले अनुबंधों में 41 फीसदी 3 से 5 साल के लिए हुए और 36 फीसदी 5 से 10 साल के लिए हुए हैं।
छोटी अवधि और कम लागत में होने वाले अनुबंधों में परिचालन का जोखिम बंट जाता है और इसमें व्यापार की मांग के  अनुसार नए संबंध भी बनते हैं।
इसके साथ ही परामर्श देने वाली कंपनियों का मानना है कि आने वाले कुछ महीनों में आई टी कंपनियों के हिस्से में कुछ बड़े सौदे आ सकते हैं।
इन कंपनियों का अनुमान है कि नये होने वाले अनुबंध तकरीबन 1340 करोड़ रुपये के हो सकते हैं।
डाटामोनिटर ने इस साल होने वाले अनुबंधों में अस्थाई रूझान को भी दिखाया है। पिछले साल के आखिर में यह न्यूनतम स्तर पर आ गया था लेकिन चालू साल की पहली तिमाही में यह संभल भी गया। उदाहरण के तौर पर आई टी कंपनियों के सौदों में जनवरी 2008 में काफी तेजी देखी गई।
इस महीने होने वाले सौदों में पिछले महीने की तुलना में 43 फीसदी का इजाफा हुआ। जनवरी 2008 में प्रोएक्टिव कम्युनिकेशन को मिला 60 अरब रुपये का अनुबंध सबसे बड़ा सौदा साबित हुआ।
इस रिपार्ट में यह भी कहा गया है कि जनवरी 2008 में होने वाले अनुबंधों में केवल 5 अनुबंध 10 साल के लिए किये गये। इस दौरान होने वाले पूरे 144 अनुबंधों में 52 फीसदी 3 से 5 साल की अवधि के लिए हुए।
आईबीएम, ईडीएस, एटीएंडटी और एटोस ओरिजन जनवरी 2008 में सबसे ज्यादा अनुबंध पाने वाली कंपनियां रहीं। जनवरी 2008 में पिछली जनवरी के मुकाबले 13 फीसदी सौदे अधिक हुए। जनवरी में होने वाले सौदों में 62 फीसदी सौदे 100 करोड़ रुपये से कम के हुए, 24 फीसदी सौदे 40 से 100 करोड़ रुपये के बीच हुए और 22 फीसदी 40 करोड़ रुपये से कम के हुए।
डाटामोनिटर इंडिया के एक वरिष्ठ विश्लेषक कहते हैं कि आई टी और आउटसोर्सिंग कंपनियां वैश्विक स्तर पर महीने दर महीने के प्रदर्शन और अस्थाई दौर से प्रभावित हो रही हैं। इसके ठीक उलट महीने दर महीने के प्रदर्शन के आधार पर भारतीय कंपनियों में स्थिरता बनी हुई है और उनका मुनाफा भी बढ़ रहा है।
अमेरिकी मंदी भी आई टी सेवाओं के बाजार को प्रभावित कर रही है लेकिन भारतीय कंपनियां इसके प्रभाव से बच निकलने में सफल रहेंगी। वैसे एशिया प्रशांत क्षेत्र में आई टी कंपनियों द्वारा किये गये सौदों में जनवरी 2008 में जनवरी 2007 की तुलना में 67 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि इसी दौरान उत्तरी अमेरिकी कंपनियों के सौदों में संख्या की दृष्टि से कमी आई है।
जनवरी 2007 में आई टी कंपनियों को बड़े सौदे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और टेलीकॉम कंपनियों से मिले। इस दौरान हुए 10  बड़े सौदों में से 9 इन्हीं कंपनियों से मिले थे।

First Published - March 6, 2008 | 8:56 PM IST

संबंधित पोस्ट