सुगबुगाहट चल रही है कि सरकार के निवेश वाले ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) की सस्ती पेशकश से खाना डिलिवरी करने वाली कंपनी स्विगी और जोमैटो के दबदबे पर असर पड़ेगा, लेकिन बाजार के विश्लेषकों का कहना है कि इसका तुरंत प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा।
विश्लेषकों का कहना है कि नेटवर्क, जो ऑनलाइन खरीदारी के लिए एक गैर लाभकारी विकल्प है उसे उच्च कमीशन वाले मॉडल की आवश्यकता होगी क्योंकि इसकी छूट टिकाऊ नहीं है। बाजार में धूम मचाने के लिए जबरदस्त विस्तार के साथ-साथ लोगों की अपेक्षाओं पर भी खरा उतरना आवश्यक होता है और पिछले एक दशक के दौरान स्विगी और जोमैटो ने अपने कारोबार को इस लिहाज से खड़ा कर लिया है।
ओएनडीसी का अपना कोई ऐप नहीं है। ग्राहकों को पेटीएम या मैजिकपिन जैसे प्लेटफॉर्म के जरिये खाना ऑर्डर करना पड़ेगा। डन्जो और शिपरॉकेट जैसी थर्ड पार्टी कंपनियां इसे पहुंचाएंगी। ओएनडीसी का उद्देश्य ऐप-केंद्रित ई-कॉमर्स मॉडल के लिए एक बेहतर विकल्प प्रदान करना है।
ओएनडीसी के उपभोक्ता सीधे विक्रेताओं से जुड़ते हैं और नेटवर्क पर किसी भी खरीदारारी करने वाले ऐप पर लेनदेन करते हैं, जिससे छोटे व्यवसाय भी बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होते हैं। इसका बेहतरीन उदाहरण मैजिकपिन है। गुरुग्राम की डिस्काउंट और डिलिवरी प्लेटफार्म ओएनडीसी पर सबसे पहले आया था, इसी कारण यह तेजी से फल-फूल रहा है।
पिछले साल मार्च में इस नेटवर्क से जुड़ने के बाद मासिक आधार पर 100 गुना वृद्धि हुई है और उसे अब तक हर महीने तीन लाख से अधिक ऑर्डर मिलते हैं। मैजिकपिन के मुख्य कार्याधिकारी और सह-संस्थापक अंशु शर्मा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हम तीन महीनों में ओपन नेटवर्क पर 5,000 और रेस्तरां को लाने योजना बना रहे हैं।’
मैजिकपिन सस्ते फूड डिलिवरी की पेशकश कर स्विगी और जोमैटो से मुकाबला कर रहा है, लेकिन इसके ऑर्डर की मात्रा प्रतिद्वंद्वी से कम है। इसने अभी तक ओएनडीसी के लिए अपने रेस्तरां भागीदारों पर अपना कमीशन पारित नहीं किया है। भारतीय फूड डिलिवरी में दो कंपनियों का ही दबदबा है। एचएसबीसी के विश्लेषकों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में जोमैटो की 56 फीसदी और स्विगी की 44 फीसदी बाजार हिस्सेदारी थी।