facebookmetapixel
Adani Group लगाएगा उत्तर प्रदेश में न्यूक्लियर पावर प्लांट, राज्य में लेगेंगे आठ छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरShare Market: शेयर बाजार में जोरदार वापसी! 4 दिन की गिरावट के बाद सेंसेक्स–निफ्टी उछलेमहाराष्ट्र का अनार अमेरिका के लिए रवाना, JNPT बंदरगाह से पहला कंटेनर समुद्र मार्ग से भेजा गयाIPO 2025: रिकॉर्ड पैसा, लेकिन निवेशकों को मिला क्या?अमेरिका और यूरोप की नीति में बदलाव से एशियाई इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को झटका, EV कंपनियां मुश्किल में‘आम आदमी को उठाना पड़ सकता है बैंकिंग सिस्टम का नुकसान’, रॉबर्ट कियोसाकी ने लोगों को क्यों चेताया?पिरामल फाइनेंस श्रीराम लाइफ में 14.72% हिस्सेदारी Sanlam ग्रुप को बेचेगी, ₹600 करोड़ का सौदाEPFO का बड़ा फैसला: नौकरी बदलते समय वीकेंड और छुट्टियां अब सर्विस ब्रेक नहीं मानी जाएंगीइस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में लोगों की ये गलतियां पड़ीं भारी, रिफंड अटका और मिला नोटिसजापान की MUFG श्रीराम फाइनेंस में 20% खरीदेगी हिस्सेदारी, ₹39,618 करोड़ का निवेश

अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ा 

भारत की इराक, यूएई, कुवैत पर निर्भरता कम हुई है और उसी अनुपात में अमेरिका से आयात बढ़ा है

Last Updated- February 15, 2023 | 9:57 PM IST
Russia move to ban petroleum exports won't extend to crude, officials say रूस के प्रोसेस्ड पेट्रोलियम के निर्यात पर प्रतिबंध का भारत पर असर नहीं

अमेरिका से कच्चे तेल के आयात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के क्रूड बॉस्केट में अमेरिका की हिस्सेदारी दिसंबर, 2022 में बढ़कर रिकॉर्ड 14.3 प्रतिशत हो गई है।

भारत के कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत रूस बना हुआ है, जिसकी क्रूड बॉस्केट में हिस्सेदारी 21.2 प्रतिशत है। वहीं भारत की इराक (16.9 प्रतिशत), यूएई (6 प्रतिशत),  कुवैत (4.2 प्रतिशत) पर निर्भरता कम हुई है और उसी अनुपात में अमेरिका से आयात बढ़ा है। दिसंबर में अमेरिका से कच्चे तेल का आयात 93 प्रतिशत बढ़कर 39 लाख टन हो गया है।

वित्त वर्ष 2017 तक भारत अमेरिका से कच्चे तेल का आयात नहीं करता था।

ट्रंप के शासनकाल में भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद शुरू की, जिससे वाशिंगटन के व्यापार अधिशेष की शिकायत दूर की जाए, इसका लाभ भारत ले रहा था। राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ का रुख अपनाया था और वह भारत में ज्यादा आयात शुल्क को लेकर मुखर थे और अक्सर भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा करते थे।

भारत ने बाइडन प्रशासन के तहत भी कच्चे तेल का भारी आयात जारी रखा है।

वित्त वर्ष 18 में अमेरिका से कच्चे तेल का आयात भारत के कुल आयात का महज 0.7 प्रतिशत था। आयात तेजी से बढ़ा और वित्त वर्ष 20 में 4.8 प्रतिशत और वित्त वर्ष 21 में 9 प्रतिशत हो गया। अमेरिका से कच्चे तेल का आयात उन 2 महीनों में दो अंकों में पहुंच गया, जब रूस ने पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर हमला किया, लेकिन धीरे-धीरे कम होने लगा। मई में यह घटकर 2.6 प्रतिशत रह गया। भारी छूट मिलने के कारण भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया।

पिछले साल अगस्त में बिज़नेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल का आयात घटा दिया है। वित्त वर्ष 23 की अप्रैल-जून तिमाही में आयात घटकर 34 लाख टन रह गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 44 लाख टन था। इससे कुल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 5.4 प्रतिशत रह गई थी। जून और उसके बाद से अमेरिका से कच्चे तेल का आयात बढ़ना शुरू हुआ और दिसंबर में यह दो अंक में पहुंच गया।

भारत के ऊपर पश्चिमी देशों का दबाव रहा है कि वह रूस से कच्चा तेल न खरीदे और जी-7 द्वारा कही गई मूल्य सीमा में शामिल हो। बहरहाल भारत ने कच्चे तेल के सस्ते आयात के अपने अधिकार का बार-बार बचाव किया और इसे जनहित में बताया। पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खरीद का बचाव करते हुए कहा कि नई दिल्ली की खरीद पिछले 9 महीनों के दौरान यूरोप की खरीद का छठा हिस्सा रहा है। जी-7 द्वारा रूस के कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल तय करने के बाद यह बयान आया था।

जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ बातचीत के बाद मीडिया ब्रीफिंग में जयशंकर ने कहा कि ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देने के लिए यूरोप विकल्प नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन से टकराव के बहुत पहले भारत और रूस के बीच क्रूड बॉस्केट के विस्तार के लिए बातचीत चल रही थी।

First Published - February 15, 2023 | 9:57 PM IST

संबंधित पोस्ट