लोगों को बहुत दिनों से इंतजार था कि छोटी कारें और सस्ती हो जाएं ताकि जल्द से जल्द वे इसे खरीद सकें। वित्त मंत्री ने उनकी इस मुराद को इस बजट में पूरा भी कर दिया लेकिन वित्त मंत्री की इस दरियादिली का असर उल्टा ही हो गया। जल्द से जल्द छोटी कार का मालिक बनने की बजाय अब लोगों को इसके लिए थोड़ा और इतंजार करना पड़ेगा।
इस बजट में एक्साइज डयूटी को घटाकर 12 फीसदी तक लाने का चिदंबरम का ऐलान कर कार निर्माताओं और मध्यम वर्ग की बांछे तो खिला दीं लेकिन बहुत से डीलरों का मानना है कि इससे कार की डिलीवरी की इंतजार अवधि कम से कम एक महीने और लंबी हो जाएगी। बाजार में जिन छोटी कार के मॉडलों की मांग सबसे ज्यादा है, उनमें मारुति स्विफ्ट, जेन एस्टिलो, शेवरलेट स्पार्क और स्कोडा फेबिया प्रमुख हैं। इन सभी को खरीदने के लिए आमतौर पर लोगों को फिलहाल एक से तीन महीने तक का इंतजार करना पड़ता है।
गौर करने वाली बात यह है कि बड़ी कार निर्माता कंपनियों, जैसे मारुति सुजुकी, जनरल मोटर्स की शेवरलेट और स्कोडा इन दिनों उत्पादन क्षमता पर भारी दबाव का सामना कर रही हैं। इसके चलते वह मांग के हिसाब से उत्पादन करने में अपने को असमर्थ महसूस कर रही हैं। मिसाल के तौर पर, मारुति सुजुकी का उत्पादन पिछले चंद माह से हर माह 62,000-63,000 के बीच ही रहता है, जो कि कंपनी की शत फीसदी क्षमता है। कंपनी चाहती है कि विदेशों में उसकी बिक्री बढ़े। विदेशों में होने वाली उसकी बिक्री कुल बिक्री का फिलहाल 7-8 फीसदी ही है। कंपनी का यह सोचना लाजिमी भी है क्योंकि पिछले चंद माह के भीतर निर्यात दर में दोहरे अंकों का इजाफा हुआ है जबकि घरेलू बिक्री में महज एक ही अंक का।
जेएम एएसके सिक्यूरिटीज के ऑटो विशेषज्ञ विजय सारथी बताते हैं- कंपनी एक निश्चित हद के बाद उत्पादन नहीं कर सकती। अगर एड़ी-चोटी का जोर लगा भी दे तो भी 66 हजार से 68 हजार कारों का उत्पादन करना ही इसके बस में है। जाहिर है, इससे मांग पूरा कर पाना किसी भी तरीके से संभव नहीं है।
मारुति को फरवरी में सबसे कम विकास दर की मार जेलनी पड़ी थी, जो कि महज एक फीसदी थी।
एक स्थानीय कार डीलर कहते हैं- आल्टो, 800, वैगन आर की मांग तो हम पूरी कर सकते हैं लेकिन स्विफ्ट और एस्टिलो के लिए कम से कम एक-दो महीने तो इंतजार करना ही पड़ेगा। अब एक्साइज डयूटी कम हो गई है तो हो सकता है कि इंतजार कम से कम और एक महीने बढ़ जाए।
स्विफ्ट का डीजल मॉडल तो पहले ही तीन महीने तक का इंतजार करा देता है। डयूटी में कमी के बाद इसका इंतजार बढ़कर चार महीने होने के पूरे आसार हैं। इसी तरह स्पार्क की मांग बढ़ते जाने के कारण फिलहाल एक-दो महीने की इंतजार अवधि के बढ़कर 2.5-3 महीने हो जाने की आशंका है। स्कोडा की फेबिया के लिए फिलहाल 2-2.5 महीने इंतजार करना पड़ता है लेकिन इसके भी तीन महीने से ऊपर चले जाने की पूरी गुंजाइश है।
बहरहाल, इस बारे में कोई सही तस्वीर चंद हफ्तो बाद ही साफ हो सकेगी, जब दाम कम हो जाने के बाद लोग इस बारे में अपना रुख साफ करेंगे।
