टाटा पावर के मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक प्रवीर सिन्हा दीर्घावधि में देश की बिजली मांग में वृद्धि को लेकर आशावादी हैं। कंपनी अगले तीन वित्त वर्ष के दौरान 60 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी जिसमें महत्त्वपूर्ण निवेश अक्षय ऊर्जा में किया जाएगा। अमृता पिल्लै के साथ साक्षात्कार में सिन्हा ने कोयला खदानों के मामले में कंपनी की योजनाओं पर चर्चा की, जो कार्बन शुद्ध शून्य की दिशा में ठोस प्रयास है। प्रमुख अंश :
पिछले दो साल में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) तकरीबन 10 प्रतिशत रही है, जो इस लिहाज से असाधारण है कि पहले वृद्धि दर पांच से छह प्रतिशत के दायरे में हुआ करती थी। यह पहले उद्योगों और वाणिज्यिक क्षेत्र से संचालित थी, लेकिन अब सरकारी योजनाओं की बदौलत ग्रामीण मांग भी बढ़ गई है।
मुझे उम्मीद है कि मांग वृद्धि जारी रहेगी, सिर्फ दो-तीन साल ही नहीं बल्कि इससे भी अधिक। देश भर में भीषण गर्मी और जोरदार सर्दी के कारण बिजली की भारी मांग हो रही है जबकि कम बर्फबारी के कारण पनबिजली उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
इन संयंत्रों की स्थापना में चुनौतियों की वजह से ज्यादा पनबिजली परियोजनाएं नहीं आ रही हैं। बढ़ती मांग पूरी करने के लिए, मौजूदा कोयला, गैस, पनबिजली और कई नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को पूरी क्षमता पर उत्पादन करने की जरूरत होगी।
हमारे अधिकांश संयंत्रों की क्षमताएं दीर्घकालिक आधार से जुड़ी हुई हैं। हमारे कुल उत्पादन का लगभग पांच प्रतिशत हिस्सा अल्पकालिक या दिन के बाजार में है। उस निवेश में बदलाव की हमारी कोई योजना नहीं है। हमारा सरल विनियमित कारोबार है, जो हमें दीर्घकालिक आधार पर अपने ग्राहकों को सेवा देने में सक्षम बनाता है।
हमारा ज्यादातर कोयला इंडोनेशिया से आता है। हमें किसी छूट के आसार नहीं दिख रहे हैं। अगर यह होती भी है तो कुछ ही वक्त के लिए होती है।
हम उम्मीद करते हैं कि हमारे तापीय संयंत्र मौजूदा बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की अवधि तक चलते रहेंगे और उसके बाद उन्हें बंद कर दिया जाएगा। हमारा कोयला खदान कारोबार अलग है, जहां हमारा इक्विटी निवेश है।
हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। शायद सही वक्त पर हम विनिवेश का फैसला कर सकते हैं बशर्ते यह कारोबार के लिहाज से सही हो और हमारे शेयरधारकों को बेहतर मूल्य देता हो।
हर साल हमारा पूंजीगत व्यय मौजूदा कारोबारों के साथ-साथ नए कारोबारों में भी जाता है। अक्षय ऊर्जा कारोबार में हमारा बड़ा पूंजीगत व्यय होगा, जहां हम क्षमता बढ़ा रहे हैं। इसमें वह विनिर्माण संयंत्र (सौर मॉड्यूल और सेल वाला) भी शामिल है, जो हमने स्थापित किया है।
इस साल हम करीब 15,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय कर रहे हैं और इसके बाद वित्त वर्ष 27 तक अगले तीन साल में हम 60,000 करोड़ रुपये के निवेश पर विचार कर रहे हैं। पैसा जुटाने की अभी योजना नहीं बनाई गई है, लेकिन सही समय पर पैसा जुटाने के लिए हम अपने सर्वोत्तम तरीके का मूल्यांकन कर रह हैं।