चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का प्रदर्शन विश्लेषकों के अनुमान से अच्छा रहा मगर आंकड़ों पर गौर करने से वैश्विक अनिश्चितता के असर का पता चलता है। हालांकि TCS के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) एवं प्रबंध निदेशक (MD) के कृत्तिवासन का मानना है कि फिलहाल चिंता जैसी कोई बात नहीं है। शिवानी शिंदे के साथ मुंबई के TCS हाउस में बातचीत के दौरान उन्होंने BFSI में नरमी, जेनरेटिव एआई की रफ्तार और अवसरों पर चर्चा की। संपादित अंश:
BFSI वृद्धि में किस तरह की बाधा है? तीसरी तिमाही में इस क्षेत्र में 3 फीसदी की गिरावट आई है। हाईटेक और संचार सेगमेंट भी पिछड़ता दिख रहा है। क्या सुधार के कोई संकेत दिख रहे हैं?
जब हम BFSI की बात करते हैं तो इसके अंतर्गत बैंक, मॉर्गेज, पूंजी बाजार, बीमा आदि जैसे विभिन्न सेगमेंट आते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र पर कई तरह से प्रभाव पड़ा है। हमारा मानना है कि जब आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होगा, ब्याज दर कम होगी और जैसे-जैसे बाजार की धारणा बेहतर होगी, आपको सुधार दिखने को मिलेगा।
अगर आप बुनियादी पहलुओं को देखें तो ये उतने खराब नहीं हैं। यह विशेषकर दिखाता है कि लोग ऐसा सोच रहे हैं कि कुछ बुरा होगा, सुस्ती आ सकती है लेकिन ऐसा अभी तक नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि अगली दो तिमाही में चीजें पटरी पर आ जाएंगी।
हाईटेक का अलग मामला है। इस क्षेत्र में बीते समय में बड़े पैमाने पर भर्तियां हुईं थीं लेकिन जमीनी स्तर पर उस तेजी से बदलाव नहीं आया। हालांकि संचार सेगमेंट को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। इस सेगमेंट में संरचनात्मक समस्या है। कंपनियों ने 5जी में निवेश किया है लेकिन उनके निवेश का रिटर्न नहीं मिल रहा है, जिससे आगे पूंजीगत निवेश पर असर पड़ रहा है। हालांकि मैं इन दो क्षेत्रों को लेकर आशान्वित हूं।
निश्चित तौर पर BFSI और रिटेल सेगमेंट में सुधार हमारे लिए सबसे अहम होंगे। हमारा मानना है अगली तिमाही में BFSI का बुरा दौर खत्म हो जाएगा और अगला साल बेहतर होगा। रिटेल सेगमेंट में भी सुधार दिखेंगे लेकिन चौथी तिमाही अच्छी रहेगी, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा।
तीसरी तिमाही में कुल अनुबंध मूल्य (टीसीवी) 8.1 अरब डॉलर रहा, जो पहले के 10 अरब डॉलर के दायरे से कम है। इस गिरावट को आप कैसे देखते हैं और पाइपलाइन में बड़े सौदे क्यों नहीं हैं?
बड़े सौदे होने में कुछ वक्त लगता है। कुछ मामलों में बातचीत पूरी होने में दो साल तक का समय लग जाता है। इस तरह के सौदों का अनुमान लगाना भी कठिन होता है क्योंकि इसके साथ कई तरह की नियामकीय मंजूरियों की जरूरत होती है। बड़े सौदों के बिना भी हमने इस तिमाही में अच्छा टीवीसी हासिल किया है। मध्य आकार के सौदे ज्यादा तेजी से हो रहे हैं।
आपने कहा है कि जेनएआई पर कई प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी) उत्पादन के स्तर पर हैं। इसकी तुलना में एक्सेंचर के जेनएआई सौदे 45 करोड़ डॉलर के हैं। इससे लगता है कि TCS की रफ्तार जेनरेटिव एआई में थोड़ी धीमी है?
जेनरेटिव एआई पर हम अपने काम की रफ्तार से काफी खुश हैं। ये सभी नई तकनीक हैं, लोगों को प्रयोग करना होगा और वैल्यू देखनी होगी। कभी-कभी जो चीज पीओसी में काम करता है वह वास्तविक दुनिया में उसी तरह का परिणाम नहीं दे सकता है। आने वाले समय में आप कई पीओसी को उत्पादन के स्तर पर देखेंगे।
मेरे विचार से इसमें करीब चार से आठ तिमाही लग सकता है। इस पर बात करने से पहले हमारे लिए यह 1 अरब डॉलर की इकाई होनी चाहिए।
लगातार चौथी तिमाही में ब्रिटेन के बाजार की अगुआई में वृद्धि हुई है। क्या आगे भी यह रफ्तार बनी रहेगी?
कई बाजार आकार का भी फायदा मिलता है। ब्रिटेन की प्रौद्योगिकी व्यय में हमारी बाजार हिस्सेदारी करीब 4 फीसदी है, जो काफी ज्यादा है। हालांकि 96 फीसदी बाजार हिस्सेदारी अभी भी दूसरों के पास है। ऐसे में बड़े सौदे हासिल करने की संभावना बनी हुई है।
तीन चिंताएं और अवसर, जिनका TCS पर प्रभाव पड़ सकता है?
अवसर की बात करें तो सबसे पहला जेनरेटिव एआई है। दूसरा ऐप्लिकेशन को आधुनिक बनाना। बैंकिंग और बीमा जैसे क्षेत्र में कई ऐप्लिकेशन 30 साल पहले बनाए गए थे, ऐसे में इनमें काफी अवसर हैं। तीसरा विनिर्माण क्षेत्र हैं, जहां उद्योग 4.0 गति पकड़ रही है। चिंताएं…वास्तव में मैं ज्यादा चिंतित नहीं हूं।
स्वचालन और उत्पादकता हमारे लिए सतत प्रक्रिया है। इसका असर हमारे द्वारा नियुक्त लोगों पर पड़ेगा, ऐसा मुझे नहीं लगता है। जहां तक स्वचालन की बात है तो हम जितना अधिक स्वचालित होंगे यह उतना ज्यादा कारगर होगा। इसलिए स्वचालन की वजह से लोगों की संख्या कम नहीं होगी बल्कि काम ज्यादा बढ़ेगा।