वियरेबल्स बाजार (Wearables market) में कम अंतर और सीमित नवाचार की वजह से इस क्षेत्र की कंपनियां अपनी रणनीति पर फिर से गौर कर रही हैं।
काउंटरपॉइंट के आंकड़ों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में काम करने वाली शीर्ष तीन कंपनियों की संयुक्त बाजार हिस्सेदारी साल 2023 की पहली तिमाही की 77 प्रतिशत हिस्सेदारी से घटकर साल 2024 की पहली तिमाही में 66 प्रतिशत रह गई है। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कम आधार के साथ-साथ सस्ते उत्पादों की भरमार की वजह से मांग में यह गिरावट आई है।
बाजार की अग्रणी बोट के सह-संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी समीर मेहता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पिछले दो वर्षों के दौरान वियरेबल बाजार में प्रवेश के लिए कोई रुकावट नहीं रही है। यह उपभोक्ताओं को कम गुणवत्ता वाले सामान बेचने की समस्या है, जिस से मांग में नरमी आई है।’
दूसरी तरफ बोट (BOAT) के सबसे बड़े प्रतिस्पर्धी वियरेबल ब्रांड नॉइज के सह-संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी गौरव खत्री का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में वियरेबल बाजार में तेज वृद्धि कम आधार के असर का परिणाम थी।
उन्होंने कहा, ‘एक साल में काफी कुछ बदल चुका है। पिछले साल की शुरुआत में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने वाले शुरुआती स्तर के कई ब्रांड पिछड़ कर सिस्टम से बाहर हो गए हैं क्योंकि वे प्रौद्योगिकी और नवाचार कामय रखने में सक्षम नहीं थे। यह कम आधार है। फिर भी नॉइज दो अंकों में बढ़ने में सक्षम रहा है।’ ऐसे में फ्लिपकार्ट जैसे बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये वियरेबल की बिक्री भी प्रभावित हुई है।
फ्लिपकार्ट के उपाध्यक्ष (इलेक्ट्रॉनिक्स) जगजीत हरोडे ने कहा, ‘कुछ नरमी (वियरेबल की बिक्री में) है। पिछले दो से तीन वर्षों में यह श्रेणी बाजार के औसत से 10 गुना बढ़ रही थी। यह सामान्य चक्र में आ रही है जो हर इलेक्ट्रॉनिक्स श्रेणी के साथ होता है, जो कि अब मात्र पैठ से अपग्रेड और रिपीट की ओर बढ़ रही है।’
काउंटरपॉइंट रिसर्च के शोध विश्लेषक हर्षित रस्तोगी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय बाजार में स्मार्टवॉच की अत्यधिक वृद्धि मुख्य रूप से किफायती फैशन एक्सेसरी के रूप में इसके आकर्षण के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि वृद्धि का यह शुरुआती चरण अब ठंडा पड़ रहा है क्योंकि इस श्रेणी का शुरुआती उत्साह कम हो रहा है।
आईडीसी इंडिया के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक (स्मार्ट वियरेबल उपकरण) विकास शर्मा ने कहा कि विक्रेताओं को नए मॉडलों में नयापन और नवाचार सीमित होने के कारण ग्राहकों को अपग्रेड करने के लिए लुभाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।