facebookmetapixel
केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात पर लगाई मुहर, मोलासेस टैक्स खत्म होने से चीनी मिलों को मिलेगी राहतCDSCO का दवा कंपनियों पर लगाम: रिवाइज्ड शेड्यूल एम के तहत शुरू होंगी जांचें; अब नहीं चलेगी लापरवाहीपूर्वोत्तर की शिक्षा में ₹21 हजार करोड़ का निवेश, असम को मिली कनकलता बरुआ यूनिवर्सिटी की सौगातकेंद्र सरकार ने लागू किया डीप सी फिशिंग का नया नियम, विदेशी जहाजों पर बैन से मछुआरों की बढ़ेगी आयCorporate Action Next Week: अगले हफ्ते शेयर बाजार में स्प्लिट-बोनस-डिविडेंड की बारिश, निवेशकों की चांदीBFSI फंड्स में निवेश से हो सकता है 11% से ज्यादा रिटर्न! जानें कैसे SIP से फायदा उठाएं900% का तगड़ा डिविडेंड! फॉर्मिंग सेक्टर से जुड़ी कंपनी का निवेशकों को तोहफा, रिकॉर्ड डेट अगले हफ्तेDividend Stocks: निवेशक हो जाएं तैयार! अगले हफ्ते 40 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड, होगा तगड़ा मुनाफाStock Split: अगले हफ्ते दो कंपनियां करेंगी स्टॉक स्प्लिट, छोटे निवेशकों के लिए बनेगा बड़ा मौकादेश में बनेगा ‘स्पेस इंटेलिजेंस’ का नया अध्याय, ULOOK को ₹19 करोड़ की फंडिंग

फेसबुक के लिए पहेली नई एफडीआई नीति

Last Updated- December 15, 2022 | 9:15 AM IST

फेसबुक ने जियो प्लेटफॉम्र्स में अपने 5.7 अरब डॉलर के निवेश से पहले भारत के पड़ोसी देशों, विशेष रूप से चीन और हॉन्ग कॉन्ग से आने वाले निवेश के लिए नई प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के बारे में कानूनी सलाह ली है।
हालांकि इस दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी की स्थापना अमेरिका में हुई है और वहीं इसका मुख्यालय है। मगर सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी होने से उसमें चीन एवं हॉन्ग कॉन्ग के बहुत से फंडों का भी निवेश है।
सूत्रों का कहना है कि मार्क जुकरबर्ग की अगुआई वाली कंपनी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इस वजह से रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक जियो प्लेटफॉम्र्स में जल्द किए जाने वाले उसके निवेश को लेकर कोई मुद्दा खड़ा न हो। इस मामले की जानकारी रखने वाले दो लोगों ने बताया कि चार बड़ी सलाहकार कंपनियों में से एक को यह सलाह देने के लिए नियुक्त किया है कि जियो में प्रस्तावित निवेेश पर ‘लाभप्रद स्वामित्व’ के नए नियम किस तरह लागू होंगे।
फेसबुक ने अप्रैल में घोषणा की थी कि वह जियो प्लेटफॉम्र्स में 9.99 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी, जिसके लिए वह 43,574 करोड़ रुपये (5.7 अरब डॉलर) चुकाएगी। फेसबुक के बाद नौ अन्य वैश्विक निवेश कंपनियां जियो प्लेटफॉम्र्स में हिस्सेदारी लेने की कतार में हैं।
इस बारे में सोमवार को फेसबुक और रिलायंस को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला।
अप्रैल में अधिसूचित संशोधित एफडीआई नीति में कहा गया है कि किसी विदेशी निवेश या किसी भारतीय कंपनी के अधिग्रहण के लिए उस स्थिति में सरकार की मंजूरी लेनी होगी, जब अधिग्रहणकर्ता या ‘बेनिफिशियल ऑनर’ की भू-सीमा भारत से सटी है।
नई नीति में साफ कहा गया है कि अगर एक भी चीन की कंपनी उस विदेशी कंपनी में निवेश करती है, जिसका भारत में निवेश है तो सरकार की पहले मंजूरी लेना जरूरी होगा। हॉन्ग कॉन्ग और चीन के ऐसे बहुत से निवेशक, हेज फंड और वित्तीय संस्थान हैं, जिनके पास फेसबुक के शेयर हैं। सूत्रों का कहना है कि निवेशक जहां निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वहां की सरकार से मंजूरी लेने और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने की जिम्मेदारी उनकी है, निवेश प्राप्त करने वाली कंपनी की नहीं। इस मामले में अगर उन पर नियम लागू होते हैं तो फेसबुक को भारत में संबंधित मंत्रालयों से मंजूरी लेनी होगी।

First Published - June 23, 2020 | 10:49 PM IST

संबंधित पोस्ट