जालान (Jalan) के स्वामित्व वाली कार्बन रिसोर्सेज खुले बाजार में अपनी पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर देश की सबसे बड़ी थोक चाय उत्पादक मैकलॉयड रसेल इंडिया से निकल गई है, जिससे इस कहानी में नया मोड़ आ गया है।
पिछले एक सप्ताह से कार्बन रिसोर्सेज बृजमोहन खेतान चाय कंपनी में हिस्सेदारी छोटे-छोटे भागों में बेच रही है। कार्बन रिसोर्सेज के निदेशक अभिनव जालान ने कहा ‘आज हमने तीन प्रतिशत से ज्यादा की बिक्री की।’ उन्होंने कहा कि प्रत्येक शेयर बेच दिया गया है।
इसकी वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि कंपनी के एनसीएलटी से बाहर आने के बाद हमने खेतान के साथ बैठक की थी। वे अलग-अलग शर्तों पर हमारे सौदे के संबंध में फिर से बातचीत करना चाहते थे, जो हमें मंजूर नहीं था।
जालान ने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि खेतान द्वारा बैंकों को मौजूदा ओटीएस (एकमुश्त भुगतान) की पेशकश बहुत कम है। इसलिए बैंक कंपनी को एनसीएलटी में घसीट सकते हैं, ऐसे में हमारे शेयर बेकार हो जाएंगे।
जालान की 5.03 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने की लागत करीब 15 करोड़ रुपये थी और उन्हें बिक्री से करीब 11 करोड़ रुपये मिले। खेतान के करीबी सूत्रों ने कहा कि इस ओटीएस के प्रस्ताव पर अब काम चल रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी राशि को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। चूंकि कार्बन के साथ हमारे समझौते में विशिष्टता वाला कारक हटा दिया गया है, इसलिए हम बेहतरीन मूल्य प्राप्त करने के लिए अन्य लोगों से बात कर रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि हमें कार्बन या किसी और के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं है।
जालान ने कहा अगर कंपनी एनसीएलटी में जाती है और बैंकों को 1,150 करोड़ रुपये की पेशकश करती है, तो हम उसका अधिग्रहण करना पसंद करेंगे। माना जाता है कि मैकलॉयड का बैंक ऋण 1,600 करोड़ रुपये के दायरे में है।
अलबत्ता पिछले नौ महीने के दौरान कार्बन-मैकलॉयड की कहानी में एक से ज्यादा दफला बदलाव आया है।
लौह मिश्र धातु, इस्पात और एल्युमीनियम उद्योगों के लिए विनिर्माण सामग्री में रुचि रखने वाली जालान की कंपनी ने एक आश्चर्यजनक कदम के तहत पिछले सितंबर में मैकलॉयड में 5.03 प्रतिशत हिस्सेदारी ले ली थी।